कोलकाता, 15 मई
करोड़ों रुपये के फर्जी पासपोर्ट रैकेट की जांच कर रही पश्चिम बंगाल पुलिस ने ऐसे दस्तावेज बरामद किए हैं जिनसे पता चलता है कि कई पासपोर्ट ऐसे लोगों को जारी किए गए जो अस्तित्व में ही नहीं हैं।
कलकत्ता उच्च न्यायालय को सौंपी गई एक हालिया रिपोर्ट में जांचकर्ताओं ने दावा किया है कि कम से कम 37 ऐसे पासपोर्ट ऐसे लोगों को जारी किए गए हैं जो दस्तावेजों में बताए गए पतों पर नहीं मिल पाए।
पूछताछ और फील्ड वेरिफिकेशन के दौरान अधिकारियों को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे पता चले कि ये लोग कभी सूचीबद्ध पतों पर रहे थे।
जांच से परिचित सूत्रों ने कहा कि निष्कर्ष भौतिक सत्यापन प्रक्रिया में गंभीर खामियों की ओर इशारा करते हैं, जो पासपोर्ट जारी करने के लिए अनिवार्य है।
नियमों के अनुसार, पुलिस सत्यापन अधिकारियों को आवेदन को मंजूरी देने से पहले जमीनी सत्यापन के लिए आवेदक के पते पर व्यक्तिगत रूप से जाना होता है।
इस सत्यापन प्रक्रिया को अंजाम देने वाले दो पुलिसकर्मियों को पहले ही मामले में आरोपी बनाया जा चुका है। वे कोलकाता पुलिस के सेवानिवृत्त उपनिरीक्षक अब्दुल हई और हुगली जिले के चंद्रनगर पुलिस आयुक्तालय में कार्यरत होमगार्ड जवान मोहम्मद इमरान हैं।