नई दिल्ली/सियोल 19 मई, 2025
युवा सांसद राघव चड्ढा को एशिया की प्रतिष्ठित एशियन लीडरशिप कॉन्फ्रेंस (ALC 2025) में शामिल होने का न्यौता मिला है। "पूर्व का दावोस" नाम से मशहूर यह कॉन्फ्रेंस साउथ कोरिया के सियोल में 21-22 मई, 2025 को आयोजित की जाएगी। इस कॉन्फ्रेंस में सांसद राघव चड्ढा को मुख्य वक्ता (Keynote Speaker) के तौर पर आमंत्रित किया गया है। जहां वे अपनी शानदार नीतिगत समझ, युवा जोश और गवर्नेंस में इनोवेशन के साथ-साथ भारत की ताकत और विजन को दुनिया के सामने रखेंगे। इस विश्व-प्रसिद्ध एशियन लीडरशिप कॉन्फ्रेंस में दुनिया के तमाम बड़े लीडर शिरकत करते हैं, जो एशिया की सबसे बड़ी चुनौतियों और उनके समाधानों पर बात करते हैं।
ओबामा, बुश और बोरिस जॉनसन बन चुके हैं हिस्सा
चोसुन मीडिया और सेंटर फॉर एशिया लीडरशिप के सहयोग से आयोजित एशिया का सबसे बड़े मंच प्रतिष्ठित एशियन लीडरशिप कॉन्फ्रेंस में राजनीति, बिजनेस, शिक्षा और समाज से जुड़े 320 से ज्यादा ग्लोबल लीडर्स और 2,500 से ज्यादा लोग एकत्र होंगे। इस कॉन्फ्रेंस की अहमयित का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इससे पहले पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और जॉर्ज डब्ल्यू बुश, यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की, ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन और डेविड कैमरन, नेटफ्लिक्स के सीईओ रीड हेस्टिंग्स, और ब्लैकस्टोन के सीईओ स्टीव श्वार्जमैन जैसे लोग इस कॉन्फ्रेंस को संबोधित कर चुके हैं।
इस बार ऋषि सुनक, माइक पोंपियो होंगे शामिल
वहीं इस बार सांसद राघव चड्डा ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, एशिया फाउंडेशन की प्रेसिडेंट लॉरेल ई. मिलर, ऑस्ट्रेलिया के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी एबॉट, मिलकेन इंस्टीट्यूट की वाइस प्रेसिडेंट लॉरा लेसी, अमेरिका के पूर्व विदेश मंत्री माइक पोंपियो, रैंड के इकनॉमिक स्ट्रैटेजी यूनिट के डायरेक्टर डैनियल एगेल, हार्वर्ड सेंटर फॉर पब्लिक लीडरशिप के फाउंडर डीन विलियम्स, और कनाडा इंटरनेशनल साइंटिफिक एक्सचेंज प्रोग्राम की डायरेक्टर शॉना नोवाक जैसे बड़े नेताओं के साथ मंच साझा करेंगे।
खास बात यह है कि इस बार एशियन लीडरशिप कॉन्फ्रेंस (ALC 2025) का थीम सबजेक्ट "राष्ट्रों का उदय: बड़ी तरक्की की राह" रखा गया है। जो दक्षिण कोरिया की आजादी की 80वीं सालगिरह और कोरियाई युद्ध की 75वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित की जा रही है। इस बार इस इवेंट में हेल्थ, क्लाइमेट और ज्योपॉलिटिक्ल कॉन्फ्लिक्ट जैसे मुद्दों पर बात होगी, ताकि इनसे निपटने के तरीके खोजे जा सकें।