नई दिल्ली, 23 मई
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को “अवैध” सट्टेबाजी ऐप्स पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग वाली याचिका की जांच करने पर सहमति जताई।
याचिका में ऑनलाइन गेमिंग और फैंटेसी स्पोर्ट्स पर सख्त नियमन और एक व्यापक कानून बनाने की भी मांग की गई है।
जस्टिस सूर्यकांत और एन.के. सिंह की पीठ ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मांगा, लेकिन मौजूदा चरण में राज्य सरकारों को नोटिस जारी करने से परहेज किया।
याचिकाकर्ता ने खुद को “एक प्रमुख सामाजिक कार्यकर्ता, मानवतावादी और वैश्विक शांति पहल के अध्यक्ष, जो वैश्विक स्तर पर शांति और न्याय को बढ़ावा देने के लिए समर्पित है” का दावा करते हुए कहा कि जनहित याचिका (पीआईएल) लाखों लोगों के हित में और “अवैध” सट्टेबाजी ऐप्स पर प्रतिबंध लगाकर भारत में विवेक और लोकतंत्र की रक्षा के लिए दायर की गई थी।
याचिका में इस साल मार्च में तेलंगाना में 25 बॉलीवुड हस्तियों, क्रिकेटरों और प्रभावशाली लोगों के खिलाफ सट्टेबाजी ऐप्स को बढ़ावा देकर जनता को गुमराह करने के लिए दर्ज की गई एफआईआर का हवाला दिया गया है।
इसके अलावा, इसने तेलंगाना के 24 लोगों की आत्महत्या के बारे में एक समाचार लेख का हवाला दिया, क्योंकि वे ऑनलाइन सट्टेबाजी के कारण लिए गए कर्ज का भुगतान करने में असमर्थ थे।
इसमें कहा गया है कि यह याचिका भारतीय युवाओं और कमजोर नागरिकों को अनियमित ऑनलाइन सट्टेबाजी और जुए के खतरों से बचाने के लिए सीधे सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई थी, जिसे अक्सर फंतासी खेल और कौशल-आधारित गेमिंग के रूप में छिपाया जाता है।