मुंबई, 6 जून
आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को अर्थव्यवस्था में वृद्धि को बढ़ावा देने के लिए रेपो दर में 50 आधार अंकों की कटौती कर इसे 6 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत करने की घोषणा की, क्योंकि मुद्रास्फीति आरबीआई के 4 प्रतिशत के निचले बैंड से नीचे आ गई है।
नीतिगत दर कम होने से बैंक ऋणों पर ब्याज दर में कमी आती है, जिससे उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यवसायों के लिए उधार लेना आसान हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप अर्थव्यवस्था में अधिक खपत और निवेश होता है, जिससे उच्च विकास होता है।
हालांकि, इस दर में कटौती की प्रभावशीलता काफी हद तक इस बात पर निर्भर करेगी कि वाणिज्यिक बैंक उधारकर्ताओं को लाभ कितनी जल्दी और कुशलता से देते हैं।
आरबीआई गवर्नर ने कहा कि इस साल फरवरी से रेपो दर में लगातार 100 आधार अंकों की कटौती की गई है और इसलिए, मौद्रिक नीति रुख को उदार से तटस्थ में बदल दिया गया है।
इससे आरबीआई समग्र विकास-मुद्रास्फीति गतिशीलता पर कड़ी नजर रख सकेगा। आरबीआई गवर्नर ने बताया कि कीमतों में व्यापक नरमी के बीच मुद्रास्फीति दर अब घटकर 3.2 प्रतिशत रह गई है और आरबीआई के बैंड के साथ मुद्रास्फीति का टिकाऊ संरेखण है। तदनुसार, आरबीआई ने मुद्रास्फीति दर के लिए अपने अनुमान को भी 4 प्रतिशत से घटाकर 3.7 प्रतिशत कर दिया है।