नई दिल्ली, 10 जुलाई
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान के अंदर अवैध निर्माण से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के एक मामले में लगभग 1.75 करोड़ रुपये की अचल संपत्ति अस्थायी रूप से कुर्क की है।
सतर्कता प्रतिष्ठान, देहरादून द्वारा दर्ज एक प्राथमिकी के बाद, धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत यह कार्रवाई की गई।
प्राथमिकी में भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), वन संरक्षण अधिनियम, 1980, वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की कई धाराओं का इस्तेमाल किया गया।
ईडी की जाँच में कालागढ़ टाइगर रिजर्व के तत्कालीन प्रभागीय वन अधिकारी (डीएफओ) किशनचंद और पाखरो रेंज के तत्कालीन वन रेंजर बृज बिहारी शर्मा सहित अन्य वन अधिकारियों और ठेकेदारों के बीच गहरी सांठगांठ का खुलासा हुआ है।
आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान में बिना किसी अनिवार्य अनुमति के कई अवैध संरचनाओं के निर्माण को अधिकृत और सुगम बनाया, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हुआ और राज्य के खजाने को राजस्व का नुकसान हुआ।
ईडी के अनुसार, अपराध की आय का उपयोग परिवार के करीबी सदस्यों के नाम पर अचल संपत्तियां अर्जित करने के लिए किया गया। ये संपत्तियां बृज बिहारी शर्मा की पत्नी राजलक्ष्मी शर्मा और किशनचंद के बेटों अभिषेक कुमार सिंह और युगेंद्र कुमार सिंह के नाम पर अर्जित की गईं।
कुर्क की गई संपत्तियों में उत्तराखंड के हरिद्वार और उत्तर प्रदेश के बिजनौर जिले में स्थित भूखंड शामिल हैं।
इन संपत्तियों के लिए एक अनंतिम कुर्की आदेश (पीएओ) जारी किया गया है, जो वित्तीय जांच में एक बड़ा कदम है।
इस मामले ने भारत के महत्वपूर्ण वन्यजीव अभ्यारण्यों की सुरक्षा का दायित्व संभाले वन अधिकारियों द्वारा भ्रष्टाचार और पर्यावरण उल्लंघनों पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
यह मामला व्यक्तिगत लाभ के लिए सत्ता के गलत इस्तेमाल पर भी सवाल उठाता है, जिससे राज्य के खजाने को भारी नुकसान हुआ है।
वर्तमान में धन के पूर्ण पैमाने का पता लगाने तथा प्राधिकार के कथित दुरुपयोग से जुड़ी अतिरिक्त परिसंपत्तियों की पहचान करने के लिए आगे की जांच चल रही है।