नई दिल्ली, 15 जुलाई
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने एक बड़े रिश्वतखोरी कांड के सिलसिले में उत्तर रेलवे, लखनऊ की गति शक्ति इकाई के उप मुख्य अभियंता समेत पांच लोगों को गिरफ्तार किया है।
ये गिरफ्तारियाँ वाराणसी के भदोही में गति शक्ति योजना के तहत एक रेलवे परियोजना से जुड़े कथित भ्रष्टाचार की जाँच के दौरान की गईं।
गिरफ्तार किए गए लोगों में उप मुख्य अभियंता, ड्राइंग के एक वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (एसएसई), लखनऊ में उत्तर रेलवे के एक कार्यालय अधीक्षक (ओएस) और एक रेलवे ठेकेदार कंपनी में कार्यरत दो निजी व्यक्ति शामिल हैं।
लखनऊ की विशेष सीबीआई अदालत ने आरोपियों को 28 जुलाई तक न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। 14 जुलाई को दर्ज इस मामले में उत्तर और पूर्वोत्तर रेलवे के कई रेलवे अधिकारी शामिल हैं, जिनमें वाराणसी और लखनऊ में तैनात अधिकारी भी शामिल हैं।
सीबीआई जाँच से पता चला है कि एक स्वीकृत रेलवे परियोजना पर काम कर रही एक ठेकेदार निजी कंपनी कथित तौर पर अनुकूल आधिकारिक कार्यों के बदले रिश्वत की पेशकश कर रही थी। 14 जुलाई को, एक आरोपी निजी कर्मचारी को उप-मुख्य अभियंता और अन्य अधिकारियों को रिश्वत देते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया।
सीबीआई ने उप-मुख्य अभियंता के पास से 2.50 लाख रुपये और कार्यालय अधीक्षक के पास से 80,000 रुपये बरामद किए, जिनमें से कुछ कथित तौर पर एसएसई (ड्राइंग) के लिए थे।
गिरफ्तारियों के बाद, सीबीआई ने 11 स्थानों पर तलाशी ली—चार लखनऊ में, छह वाराणसी में और एक गाजियाबाद में। छापों के दौरान कई आपत्तिजनक दस्तावेज़ और सामग्री बरामद की गई, जिससे मामला और मज़बूत हुआ।
उत्तर रेलवे का एक सहायक कार्यकारी अभियंता (एक्सईएन), जिसने कथित तौर पर 2.75 लाख रुपये की रिश्वत ली थी, अभी भी फरार है।
सीबीआई उसे पकड़ने और पकड़ने के लिए सक्रिय रूप से सुराग जुटा रही है। जाँच जारी है, और सीबीआई ने संकेत दिया है कि जैसे-जैसे मामला आगे बढ़ेगा, और गिरफ्तारियाँ और खुलासे होने की संभावना है।