नई दिल्ली, 12 अगस्त
लोकसभा ने मंगलवार को भारतीय बंदरगाह विधेयक, 2025 को ध्वनिमत से पारित कर दिया, जो औपनिवेशिक काल के 1908 के भारतीय बंदरगाह अधिनियम का स्थान लेगा। हालाँकि, विपक्षी सदस्यों की लगातार नारेबाजी और विरोध के कारण बहस का अधिकांश हिस्सा बाधित रहा।
केंद्रीय बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्री सर्बानंद सोनोवाल द्वारा प्रस्तुत यह विधेयक, सहकारी संघवाद और रणनीतिक समुद्री विकास पर ज़ोर देते हुए, भारत के बंदरगाहों को नियंत्रित करने वाले कानूनी ढाँचे को सुदृढ़ और आधुनिक बनाने का प्रयास करता है।
दोपहर 3 बजे सदन की कार्यवाही पुनः शुरू हुई और अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने सोनोवाल को विधेयक पर विचार के लिए आमंत्रित किया। मंत्री ने विधेयक के उद्देश्यों को रेखांकित करते हुए कहा कि यह व्यापार को सुगम बनाएगा, भारत के समुद्र तट का इष्टतम उपयोग सुनिश्चित करेगा और गैर-प्रमुख बंदरगाहों के प्रभावी प्रबंधन के लिए राज्य समुद्री बोर्डों को सशक्त बनाएगा।
उन्होंने प्रदूषण प्रबंधन, आपदा प्रतिक्रिया, बंदरगाह सुरक्षा, नौवहन और डेटा प्रशासन के लिए विधेयक के प्रावधानों पर भी प्रकाश डाला, साथ ही घरेलू नियमों को भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों के अनुरूप बनाया।
इस विधेयक की एक प्रमुख विशेषता समुद्री राज्य विकास परिषद (एमएसडीसी) की वैधानिक स्थापना है, जो कार्यकारी अधिसूचना के माध्यम से 1997 से अस्तित्व में है।