नई दिल्ली, 24 जून
मंगलवार को एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत घरेलू मांग, सामान्य मानसून और मौद्रिक ढील के कारण भारत में चालू वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की संभावना है।
भारत जैसी वस्तुओं के निर्यात से कम जुड़ी अर्थव्यवस्थाओं में आर्थिक मंदी को सीमित करने में घरेलू मांग में लचीलापन विशेष रूप से प्रासंगिक है।
एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं को कवर करने वाली रिपोर्ट में कहा गया है, "हमें लगता है कि वित्त वर्ष 2026 (31 मार्च, 2026 को समाप्त होने वाला वर्ष) में भारत की जीडीपी वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहेगी।"
भारत में खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट से भी हेडलाइन मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
थोक मूल्य सूचकांक (डब्ल्यूपीआई) पर आधारित देश की वार्षिक मुद्रास्फीति दर मई में 0.39 प्रतिशत पर आ गई, जो अप्रैल में 0.85 प्रतिशत और मार्च में 2.05 प्रतिशत थी। इस बीच, उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित देश की मुद्रास्फीति दर पिछले साल के इसी महीने की तुलना में इस साल मई में घटकर 2.82 प्रतिशत रह गई है। पिछले सप्ताह जारी आंकड़ों से पता चला है कि फरवरी 2019 के बाद से यह खुदरा मुद्रास्फीति का सबसे निचला स्तर है। मई के दौरान खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 0.99 प्रतिशत हो गई, जो अक्टूबर 2021 के बाद से सबसे कम है। यह लगातार सातवां महीना है जब खाद्य मुद्रास्फीति में गिरावट दर्ज की गई है क्योंकि कृषि उत्पादन बढ़ रहा है।