कोच्चि, 26 अगस्त
आईसीएआर-केंद्रीय समुद्री मत्स्य अनुसंधान संस्थान (सीएमएफआरआई) ने बताया है कि मानसून के कारण नदियों के लगातार अपवाह और तटीय परिस्थितियों में बदलाव के कारण केरल के तट पर हाल ही में जैव-प्रकाश उत्सर्जक लाल ज्वार आया है।
सीएमएफआरआई के समुद्री जैव विविधता एवं पर्यावरण प्रबंधन प्रभाग (एमबीईएमडी) द्वारा किए गए एक क्षेत्रीय सर्वेक्षण में पाया गया कि मानसून के दौरान नदियों से भारी मात्रा में आने वाले जल प्रवाह ने तटीय जल को पोषक तत्वों से समृद्ध किया, जिससे नोक्टिलुका सिंटिलान्स के प्रस्फुटन के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ बनीं, जो एक बड़ा जैव-प्रकाश उत्सर्जक डाइनोफ्लैजेलेट है और अक्सर ऐसी घटनाओं से जुड़ा होता है।
अगस्त के मध्य में अनुसंधान पोत सिल्वर पोम्पानो पर किए गए संस्थान के नवीनतम अवलोकनों ने कोच्चि से 40 किमी दूर और 40 मीटर की गहराई तक प्रस्फुटन का दस्तावेजीकरण किया।
पहले की रिपोर्टों के विपरीत, जो तटवर्ती जल तक ही सीमित थीं, इस बार शोधकर्ताओं ने तट की ओर बहते हुए लगभग दो किलोमीटर लंबे और चौड़े क्षेत्र दर्ज किए।