राजनीति

राज्यसभा में राघव चड्ढा ने उठाया आम जनता पर पड़ने वाली टैक्स की मार का मुद्दा, बोले- "एक व्यक्ति को जन्म से लेकर मृत्यु तक हर कदम पर देना पड़ता है टैक्स

March 27, 2025

नई दिल्ली, 27 मार्च 2025:

राज्यसभा में गुरुवार को फाइनेंस बिल 2025 और The Appropriation (No 3) Bill, 2025 पर चर्चा के दौरान आम आदमी की जिंदगी पर टैक्स के बोझ की दिल छू लेने वाली तस्वीर सांसद राघव चड्ढा ने देश के सामने रखी। उन्होंने जन्म से लेकर मत्यु तक की आठ स्टेज का जिक्र करते हुए कहा कि किस तरह से जन्म से लेकर जीवन के अंतिम समय तक वह टैक्स के जंजाल में फंसा रहता है। उन्होंने सरकार से अपील करते आम जनता पर से टैक्स का बोझ कम करने की अपील की, ताकि आम आदमी के हाथ में पैसा आए, और अर्थव्यवस्था आगे बढ़े।

"आज मैं सीए नहीं, एक आम आदमी की तरह बोल रहा हूं"

अपने भाषण की शुरुआत में सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि वित्त मंत्री जी हर बार मेरे सवालों का जवाब निजी तंज़ से देती हैं — कभी कहती हैं कि मैं चार्टर्ड अकाउंटेंट नहीं हूं, कभी मेरी डिग्री पर सवाल उठाती हैं। मैं उनका सम्मान करता हूं, वे अनुभव, ओहदे और उम्र में मुझसे बड़ी हैं। लेकिन आज मैं उस डिग्री को किनारे रख, एक आम आदमी की तरह यह दिखाना चाहता हूं कि जन्म से मृत्यु तक सरकार हर कदम पर टैक्स वसूलती है — बिना यह सोचे कि आम आदमी को बदले में क्या सुविधा मिल रही है।

टैक्स के बदले क्या मिलता है?

सांसद राघव चड्ढा ने सवाल उठाया कि इस टैक्स के बदले देशवासियों को क्या मिल रहा है? उन्होंने पूछा – “क्या सरकार हमें मुफ्त या क्वॉलिटी वाली स्वास्थ्य सेवाएं देती है? क्या हमारे पास बेहतर सड़कें, किफायती शिक्षा या सुरक्षित पब्लिक ट्रांसपोर्ट है?”

उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "हम भारत में विकसित देशों की तरह टैक्स भरते हैं, लेकिन सुविधाएं अविकसित देशों की तरह हैं।" सांसद राघव चड्ढा ने इस बात पर जोर दिया कि सरकार हर कदम पर टैक्स वसूलती है, लेकिन बदले में जनता को मूलभूत सुविधाएं भी ठीक से नहीं मिलतीं।

जन्म से मृत्यु तक टैक्स की मार

राघव चड्ढा ने अपने भाषण में जिंदगी के हर पड़ाव पर टैक्स की मार को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा, "जिस पल एक बच्चा जन्म लेता है, उसी पल से सरकार टैक्स वसूलने के लिए तैयार खड़ी होती है। और जब तक एक परिवार उसकी मृत्यु पर शोक मना रहा होता है, तब भी सरकार टैक्स वसूलने में पीछे नहीं हटती।"

उन्होंने बताया कि हमारी मेहनत की कमाई का एक बड़ा हिस्सा टैक्स चुकाने में चला जाता है। सवाल यह है कि जनता को टैक्स के बदले क्या मिल रहा है?" राघव चड्ढा ने देश की मौजूदा टैक्स व्यवस्था को “Life Cycle Taxation Model” करार दिया और जीवन के आठ चरणों में लगने वाले टैक्स का विवरण सदन के सामने रखा।

1. बेबी केयर आइटम्स पर जीएसटी

सांसद राघव चड्ढा ने कहा, "जब एक बच्चा जन्म लेता है, तो उसकी आंखें खुलने से पहले ही टैक्स शुरू हो जाता है। नवजात के लिए वैक्सीनेशन पर 5% जीएसटी लगता है। अस्पताल के कमरे का किराया अगर 5,000 रुपये से ज्यादा है, तो 5% जीएसटी। बेबी केयर आइटम्स पर 5% से 18% जीएसटी। जन्म प्रमाणपत्र के लिए रजिस्ट्रेशन फी और उस पर भी जीएसटी।" उन्होंने हल्के अंदाज में कहा, "अगर जन्म की खुशी में मिठाई या ब्रांडे्ड चॉकलेट बांटी जाती है, तो उस पर भी 5 से 28 फीसदी तक का जीएसटी चुकाना पड़ता है।

2. बचपन पर भी जीएसटी की मार

वहीं जन्म के बाद बचपन की स्टेज का जिक्र भी उन्होंने अपना भाषण में किया। राघव ने बताया, "माता-पिता बेबी फूड खरीदते हैं तो उस पर 18% तक जीएसटी लगता है। डायपर्स पर 12% जीएसटी। बेबी स्ट्रॉलर पर 5% से 12% जीएसटी। बच्चों के खिलौनों पर भी 12% जीएसटी, चाहे वो पेडल टॉयज हों।" उन्होंने आगे कहा, "बच्चे का पहला हेयरकट या मुंडन – सैलून में 18% जीएसटी। पहली बर्थडे की फोटोशूट पर 18% जीएसटी। बर्थडे पार्टी में कैटरिंग पर 18% जीएसटी। बर्थडे केक पर भी 18% जीएसटी।"

जब बच्चा स्कूल जाने लगता है, तब भी टैक्स पीछा नहीं छोड़ता। यूनिफॉर्म, जूते, स्कूल बैग, लंच बॉक्स – इन सब पर जीएसटी। स्टेशनरी आइटम्स पर 18% जीएसटी लगाया जाता है।

3. किशोरावस्था में और बढ़ जाता है टैक्स का बोझ

वहीं तीसरी किशोरावस्था में टैक्स का बोझ और बढ़ जाता है। राघव ने कहा, यह जीवन का सबसे मस्त और बेफिक्री का समय होता है। इस उम्र में बच्चा पहला स्मार्टफोन खरीदता है – उस पर जीएसटी। अगर फोन महंगा या विदेशी है, तो इम्पोर्ट ड्यूटी। फोन रिचार्ज पर जीएसटी। ब्रॉडबैंड इंटरनेट पर जीएसटी। नेटफ्लिक्स, स्पॉटिफाई, वीडियो गेम्स की सब्सक्रिप्शन पर जीएसटी। दोस्तों के साथ मूवी देखने जाएं – जीएसटी, एंटरटेनमेंट टैक्स, पॉपकॉर्न और कोल्ड ड्रिंक्स पर जीएसटी।"

उन्होंने आगे कहा, "18 साल की उम्र में पहली मोटरबाइक या स्कूटर खरीदते हैं, तो उस पर भी जीएसटी, रोड टैक्स, रजिस्ट्रेशन फी, के अलावा इंश्योरेंस और व्हीकल एक्सेसरीज पर भी जीएसटी भरना पड़ता है।"

4. उच्च शिक्षा के लिए लोन पर भी देना पड़ता है जीएसटी

सांसद राघव चड्ढा ने कहा, चौथे चरण में यानी उच्च शिक्षा के दौरान भी टैक्स की मार जारी रहती है। "प्राइवेट कॉलेज की ट्यूशन फी पर जीएसटी। हॉस्टल या पीजी का रेंट भर रहे हैं, तो उस पर जीएसटी। स्टूडेंट लोन की प्रोसेसिंग फी पर जीएसटी। किताबों से लेकर लैपटॉप तक, हर चीज पर जीएसटी लगता है।

उन्होंने जोर देकर कहा, "वहीं, जब तक आप ग्रेजुएट होते हैं, तब तक आपको एहसास हो जाता है कि सरकार आपकी मेहनत की कमाई को अपने पास रखने नहीं देती। अगर आप विदेश में पढ़ाई करते हैं, तो फॉरेन रेमिटेंस पर टीसीएस (टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स) देना पड़ता है।"

5. करियर की शुरुआत में ही टैक्स की मार

पांचवें चरण में करियर की शुरुआत होते ही पड़ने वाले टैक्स की मार को भी राघव चड्ढा ने समझाया। उन्होंने कहा, "यह डायरेक्ट टैक्स का जंजाल है। पहली नौकरी लगती है, तो स्लैब रेट के हिसाब से टीडीएस काटा जाता है। इनकम टैक्स वसूला जाता है। पहली सैलरी मिलती है, तो माता-पिता या दोस्तों को खाने या पिक्चर दिखाने ले जाएं, उस बिल पर भी जीएसटी। सैलरी बढ़ती है, तो स्लैब के हिसाब से इनकम टैक्स बढ़ता है। वर्क फ्रॉम होम में इंटरनेट बिल्स, लैपटॉप, ब्रीफकेस – इन सब पर जीएसटी।"

उन्होंने कहा, "अगर निवेश करते हैं, तो फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट की खरीद पर सिक्योरिटी ट्रांजैक्शन टैक्स, ब्रोकरेज पर जीएसटी, फाइनेंशियल एडवाइजरी पर जीएसटी। मुनाफा होने पर कैपिटल गेन टैक्स। हेल्थ और लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम पर भी जीएसटी भरना पड़ता है।"

6. मध्यम आयु - आमदनी और टैक्सेशन दोनों पीक पर

राघव ने कहा, "प्रमोशन या अप्रेजल से सैलरी बढ़ती है – टैक्स स्लैब बढ़ता है, परफॉर्मेंस बोनस पर भी टैक्स। कार खरीदते हैं – जीएसटी, रोड टैक्स, इंश्योरेंस, रजिस्ट्रेशन फी। पेट्रोल-डीजल पर वैट, एक्साइज ड्यूटी और सेस, और सड़क पर ड्राइविंग के लिए टोल टैक्स।" घर खरीदने की प्रक्रिया में भी टैक्स की मार है। "स्टैंप ड्यूटी, रजिस्ट्रेशन फी, कंस्ट्रक्शन सर्विसेज पर जीएसटी, सीमेंट, मार्बल, स्टील जैसे मटेरियल्स पर जीएसटी। सालाना प्रॉपर्टी टैक्स और हाउस टैक्स। अगर आप घर बेचते हैं, तो कैपिटल गेन्स टैक्स।" शादी के मौके पर भी टैक्स से राहत नहीं मिलती। "बैंक्वेट हॉल बुकिंग, कैटरिंग सर्विसेज, सोने के गहने, कपड़े, वेडिंग इनविटेशन कार्ड से लेकर ब्राइडल मेकअप और हनीमून ट्रैवल तक – हर चीज पर जीएसटी।"

7. रिटायरमेंट में भी पीछा नहीं छोड़ता टैक्स

सांसद राघव चड्ढा ने रिटायरमेंट के बाद भी लगने वाले टैक्स का जिक्र किया। उन्होंने कहा, ""इस उम्र में इंसान आरामदायक जीवन चाहता है। लेकिन पेंशन पर टैक्स लगाया जाता है। ब्याज से होने वाली आय पर टैक्स भरना पड़ता है। दवाइयों, हेल्थकेयर सर्विसेज पर टैक्स भरते हैं। लाइफ और हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम पर जीएसटी देना पड़ता है। प्रॉपर्टी की वसीयत तैयार करने पर लीगल फी और जीएसटी। वसीयत के रजिस्ट्रेशन पर भी स्टैंप ड्यूटी भरनी पड़ती है।"

8. मौत के बाद भी टैक्स की मार

राघव ने जोर देकर कहा, "मृत्यु के बाद भी टैक्स पीछा नहीं छोड़ता। अखबार में शोक-संदेश छपवाने पर जीएसटी। अंतिम संस्कार में देसी घी, चंदन, नारियल, इत्तर पर जीएसटी। जमीन या प्रॉपर्टी पर टैक्स।"

उन्होंने कहा, "प्रॉपर्टी को परिवार में ट्रांसफर करने पर लीगल फी और जीएसटी। अगर परिवार वाले इसे आगे बेचते हैं, तो कैपिटल गेन्स टैक्स, स्टैंप ड्यूटी, और रजिस्ट्रेशन फी चुकानी पड़ती है।" इसके अलावा जमीन या प्रॉपर्टी की म्युटेशन पर कई राज्यों में स्टॉम्प ड्यूटी भी चुकानी पड़ती है।

टैक्स के बदले क्या मिलता है?

सांसद राघव चड्ढा ने टैक्स के अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर का भी संसद में जिक्र किया। उन्होंने पूछा, "इतना टैक्स देने के बाद सरकार हमें देती क्या है? टैक्स सरकार के लिए जरूरी हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या ये टैक्स हमारी इकॉनमी को बढ़ा रहे हैं या खा रहे हैं? हमारी जिंदगी बेहतर हो रही है या बदतर? टैक्स की वजह से आमदनी घट रही है, खपत गिर रही है, डिमांड नहीं बढ़ रही, प्रोडक्शन गिर रहा है। इकॉनमी का चक्का धीमा हो गया है।"

उन्होंने कहा, "इस देश में 80 करोड़ जनता 5 किलो फ्री राशन के सहारे जी रही है। लेकिन उनसे भी जीएसटी लिया जाता है। गरीब से गरीब आदमी भी जीएसटी देता है। टैक्स की वजह से एफएमसीजी की सेल्स घट रही है, स्टॉक्स गिर रहे हैं, खपत घटरही है, नई गाड़ियों की सेल सिकुड़ रही है।"

राघव ने सरकार से अपील की, "सरकार को जीएसटी कम करना चाहिए। अगर जीएसटी कम करेंगे, तो जनता की जेब में पैसा आएगा। पैसा आएगा, तो मांग बढ़ेगी, खपत बढ़ेगी, और इकॉनमी का चक्का चलेगा।"

राघव चड्ढा ने अपने भाषण में टैक्सेशन सिस्टम में सुधार की जरूरत पर बल दिया और सरकार से मध्यम वर्ग को राहत देने की मांग की।

 

ਕੁਝ ਕਹਿਣਾ ਹੋ? ਆਪਣੀ ਰਾਏ ਪੋਸਟ ਕਰੋ

 

और ख़बरें

हम किसी राज्य को पानी देने का विरोध नहीं कर रहें, हम सिर्फ अपने हिस्से के पानी की रक्षा कर रहे हैं - गोयल

हम किसी राज्य को पानी देने का विरोध नहीं कर रहें, हम सिर्फ अपने हिस्से के पानी की रक्षा कर रहे हैं - गोयल

भाजपा को दी चेतावनी, कहा - पंजाब को रेगिस्तान बनाने की साजिश न रचें, महंगा पड़ेगा

भाजपा को दी चेतावनी, कहा - पंजाब को रेगिस्तान बनाने की साजिश न रचें, महंगा पड़ेगा

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘जिन्होंने डर फैलाने की कोशिश की, वे विफल हो गए’; पहलगाम में पर्यटकों से मिले

फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘जिन्होंने डर फैलाने की कोशिश की, वे विफल हो गए’; पहलगाम में पर्यटकों से मिले

मध्य प्रदेश के मंत्री सारंग ने कहा कि नाबालिग लड़कियों से बलात्कार करने वालों को गोली मार देनी चाहिए

मध्य प्रदेश के मंत्री सारंग ने कहा कि नाबालिग लड़कियों से बलात्कार करने वालों को गोली मार देनी चाहिए

कर्नाटक पुलिस ने हिंदू कार्यकर्ता की हत्या के मामले में 8 लोगों को किया गिरफ्तार; सांप्रदायिकता विरोधी टास्क फोर्स का होगा गठन

कर्नाटक पुलिस ने हिंदू कार्यकर्ता की हत्या के मामले में 8 लोगों को किया गिरफ्तार; सांप्रदायिकता विरोधी टास्क फोर्स का होगा गठन

सीएम धामी ने नेपाल के सुदूरपश्चिम प्रांत से आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की

सीएम धामी ने नेपाल के सुदूरपश्चिम प्रांत से आए प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात की

दिल्ली ने आयुष्मान वय वंदना योजना के लिए मोबाइल पंजीकरण अभियान शुरू किया

दिल्ली ने आयुष्मान वय वंदना योजना के लिए मोबाइल पंजीकरण अभियान शुरू किया

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने तूफान में मारे गए 4 लोगों के परिजनों को 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की

दिल्ली के मुख्यमंत्री ने तूफान में मारे गए 4 लोगों के परिजनों को 25 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की

भूपेंद्र पटेल ने वडोदरा में 1,156 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया

भूपेंद्र पटेल ने वडोदरा में 1,156 करोड़ रुपये की विकास परियोजनाओं का उद्घाटन किया

मायावती 'भाजपा की अनौपचारिक प्रवक्ता' बन गई हैं: उदित राज

मायावती 'भाजपा की अनौपचारिक प्रवक्ता' बन गई हैं: उदित राज

  --%>