नई दिल्ली, 3 मई
सरकार ने शनिवार को कहा कि मोबाइल और इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स (आरआई) पर फ्रेमवर्क के लिए गठित समिति ने अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है, ताकि उन उपभोक्ताओं की मदद की जा सके, जो अपने उपकरणों की मरम्मत के लिए समस्याएँ देखते हैं।
पैनल ने उपभोक्ता मामलों के विभाग की सचिव निधि खरे को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है। समिति की सिफारिशें उद्योग में नवाचार और व्यापार करने में आसानी के संबंध में किसी भी बाधा के बिना सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप तैयार की गई हैं।
उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने कहा कि मूल उपकरण निर्माताओं (ओईएम) को फ्रेमवर्क में दिए गए मानकों के स्कोरिंग मानदंडों के आधार पर रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स को स्वयं घोषित करना आवश्यक है, जिसमें कोई अतिरिक्त अनुपालन बोझ नहीं है।
इसके अलावा, समिति ने सिफारिश की कि रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स को बिक्री/खरीद के बिंदु, ई-कॉमर्स प्लेटफार्मों और पैकेज्ड उत्पादों पर क्यूआर कोड के रूप में प्रदर्शित किया जाना चाहिए ताकि उपभोक्ता सूचित विकल्प चुन सकें।
सितंबर 2024 में, उपभोक्ता मामलों के विभाग ने रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स (आरआई) की रूपरेखा विकसित करने के लिए अतिरिक्त सचिव भरत खेड़ा की अध्यक्षता में एक समिति गठित की।
रिपेयरेबिलिटी इंडेक्स का उद्देश्य एक ऐसा पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है, जहाँ उपभोक्ता ऐसे विकल्प चुनें जो ‘बेकार उपभोग’ के बजाय उनके उत्पादों के ‘सचेत उपयोग’ के लोकाचार के अनुरूप हों।
उपभोक्ताओं को आसान और परेशानी मुक्त मरम्मत विकल्पों के साथ सशक्त बनाकर, विभाग ने कहा कि यह एक आत्मनिर्भर, टिकाऊ और उपभोक्ता-अनुकूल अर्थव्यवस्था के लिए अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि कर रहा है।