नई दिल्ली, 30 मई
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और केपीएमजी इंडिया द्वारा संकलित एक रिपोर्ट के अनुसार, देश का रक्षा उत्पादन 2024-25 में 1.46 लाख करोड़ रुपये से छह गुना बढ़कर 2047 में 8.8 लाख करोड़ रुपये होने की उम्मीद है।
भारत का वार्षिक रक्षा बजट 2047 में लगभग पांच गुना बढ़कर 31.7 लाख करोड़ रुपये हो सकता है, जबकि वर्तमान में वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए 6.81 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।
यहां सीआईआई के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में जारी की गई रिपोर्ट - जिसका शीर्षक "आत्मनिर्भर, अग्रणी और अतुल्य भारत 2047" है, का अनुमान है कि भारत का रक्षा निर्यात 2047 में बढ़कर 2.8 लाख करोड़ रुपये हो जाएगा, जो 2024-25 के 24,000 करोड़ रुपये के इसी आंकड़े की तुलना में लगभग 12 गुना उछाल दर्शाता है।
रिपोर्ट में देश के कुल रक्षा व्यय को 2047 के लिए सकल घरेलू उत्पाद के 4.5 प्रतिशत पर आंका गया है, जो वर्तमान में सकल घरेलू उत्पाद का 2 प्रतिशत है।
रक्षा बजट में अनुसंधान एवं विकास (अनुसंधान और विकास) के लिए आवंटन भी वर्तमान के 4 प्रतिशत से बढ़कर 8-10 प्रतिशत होने की उम्मीद है क्योंकि देश सैन्य हार्डवेयर के लिए अत्याधुनिक तकनीक के विकास को आगे बढ़ा रहा है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि मजबूत रक्षा क्षेत्र के साथ 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के रूप में स्थापित करने के लक्ष्य को हासिल करने में कुछ चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि, मजबूत सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देना आवश्यक है और रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश और टिके रहने को प्रोत्साहित करने के लिए प्रोत्साहन की आवश्यकता है।