गांधीनगर, 6 जून
वन एवं पर्यावरण विभाग के अंतर्गत गुजरात पर्यावरण प्रबंधन संस्थान (जीईएमआई) ने 22 मई से 5 जून तक चलाए गए #BeatPlasticPollution नामक राज्यव्यापी अभियान का समापन किया। शुक्रवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, गुजरात के 12 समुद्र तटों की सफाई के लिए 1,640 नागरिक एक साथ आए और बड़ी मात्रा में प्लास्टिक सहित 18,350 किलोग्राम से अधिक कचरा एकत्र किया।
इस अभियान में समुद्र तटों, शहरी इलाकों और गांवों में लोगों ने हिस्सा लिया, जिसका उद्देश्य प्लास्टिक प्रदूषण को कम करना और संधारणीय जीवन शैली को बढ़ावा देना था।
द्वारका, शिवराजपुर, उमरगाम, दांडी, डुमास, महुवा, पोरबंदर और रावलपीर सहित तटीय स्थलों पर सफाई गतिविधियाँ आयोजित की गईं।
गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, स्थानीय नगर पालिकाओं, वन अधिकारियों, गैर सरकारी संगठनों और उद्योगों द्वारा समर्थित इस अभियान में नागरिकों की भागीदारी और कचरे के जिम्मेदाराना निपटान दोनों पर जोर दिया गया।
समुद्र तट से परे, अभियान ने अरावली, राजकोट, भरूच, कच्छ, दाहोद, जूनागढ़ और डांग जैसे 15 जिलों के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए 37 नुक्कड़ नाटकों के माध्यम से जन जागरूकता पर भी ध्यान केंद्रित किया। ये प्रदर्शन 4,100 से अधिक लोगों तक पहुँचे, उन्हें प्लास्टिक के खतरों के बारे में शिक्षित किया और पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को बढ़ावा दिया।
इसके अलावा, गांधीनगर और अहमदाबाद में 10 आवासीय सोसाइटियों में, 450 से अधिक निवासियों ने 250 किलोग्राम से अधिक पुनर्चक्रण योग्य प्लास्टिक एकत्र किया।
प्रतिभागियों को घर पर हरित जीवन को प्रोत्साहित करने के लिए मिट्टी के बर्तनों में पौधे लगाने और खाद किट जैसी पर्यावरण के अनुकूल वस्तुएँ भी दी गईं। इस पहल में पोस्टर प्रतियोगिताएँ, कार्यशालाएँ, डिजिटल रील और अपसाइक्लिंग प्रतियोगिताएँ शामिल थीं, जिससे व्यापक सार्वजनिक जुड़ाव हुआ।
गुजरात, अपनी 1,600 किलोमीटर लंबी तटरेखा के साथ, शिवराजपुर (ब्लू फ्लैग-प्रमाणित समुद्र तट), द्वारका, डुमास (सूरत), तिथल (वलसाड), मांडवी (कच्छ), घोघला (दीव), सोमनाथ, दांडी (नवसारी), पोरबंदर और उमरगाम जैसे कई महत्वपूर्ण और लोकप्रिय समुद्र तटों का घर है। ये समुद्र तट न केवल राज्य की पर्यटन अर्थव्यवस्था के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि पारिस्थितिक और ऐतिहासिक महत्व भी रखते हैं। उदाहरण के लिए, दांडी महात्मा गांधी के प्रसिद्ध 'नमक मार्च' से जुड़ा हुआ है, जबकि शिवराजपुर की ब्लू फ्लैग स्थिति स्वच्छता, सुरक्षा और पर्यावरणीय स्थिरता के उच्च मानकों को दर्शाती है। हालांकि, पर्यटकों की बढ़ती संख्या, स्थानीय कूड़े-कचरे और खराब अपशिष्ट प्रबंधन ने प्रदूषण के खतरनाक स्तर को जन्म दिया है, खासकर एकल-उपयोग वाले प्लास्टिक से। प्लास्टिक की बोतलें, रैपर, मछली पकड़ने के जाल और अन्य गैर-बायोडिग्रेडेबल अपशिष्ट तट के किनारे जमा हो जाते हैं, जिससे कछुए, केकड़े और तटीय पक्षियों जैसे समुद्री जीवन को खतरा होता है। प्रदूषित समुद्र तट स्थानीय आजीविका को भी प्रभावित करते हैं, विशेष रूप से मछली पकड़ने और पर्यटन पर निर्भर लोगों की आजीविका को।