नई दिल्ली, 7 जून
भारत पशुधन निर्यात में खुद को वैश्विक नेता के रूप में स्थापित कर सकता है, खासकर मूल्य-वर्धित क्षेत्रों में, और उद्योग को अधिक महत्वाकांक्षी होना चाहिए तथा इस वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में निर्यात में 20 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखना चाहिए, वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने कहा है।
पिछले वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 25) में, पशु उत्पादों का कुल निर्यात 5114.19 मिलियन डॉलर रहा, जो 12.56 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है।
यह बात कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और पशुपालन और डेयरी विभाग (डीएएचडी) द्वारा राष्ट्रीय राजधानी में “पशुधन और उनके मूल्य वर्धित उत्पादों का निर्यात - भविष्य की संभावनाएं और आगे का रास्ता” विषय पर आयोजित कार्यशाला में कही गई।
डीएएचडी की सचिव अलका उपाध्याय ने कहा कि रोग नियंत्रण बुनियादी ढांचे, गुणवत्ता प्रणालियों में निरंतर निवेश, बाजार पहुंच और निर्यात तथा जैव-सुरक्षा उपायों के लिए राजनयिक चैनलों की खोज के साथ इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा, "उद्योग को पशुधन के प्रसंस्करण पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए और वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी निर्यात सुनिश्चित करने के लिए संयंत्रों और प्रतिष्ठानों के लिए स्टार रेटिंग प्राप्त करके पशुधन उत्पादों की गुणवत्ता में और सुधार करना चाहिए।"