नई दिल्ली, 1 जुलाई
भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरिक्ष में मांसपेशियों के स्वास्थ्य को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण प्रयोग किया है -- जो लंबे अंतरिक्ष मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्रियों के साथ-साथ पृथ्वी पर मांसपेशियों की क्षति से पीड़ित लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है।
शुक्ला ने पिछले सप्ताह एक्सिओम स्पेस के मिशन-4 पर सवार होकर अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुँचने वाले पहले भारतीय बनकर इतिहास रच दिया
उन्होंने अमेरिका, पोलैंड और हंगरी के तीन अन्य लोगों और एक्सपीडिशन 73 के सात सदस्यों के साथ मिलकर मांसपेशियों और मस्तिष्क पर किए गए शोध का नेतृत्व किया।
नासा ने एक ब्लॉग पोस्ट में कहा, "शुक्ला ने अंतरिक्ष में मांसपेशियों के स्वास्थ्य को बनाए रखने के तरीके सीखने के लिए किबो के लाइफ साइंस ग्लोवबॉक्स में मांसपेशियों के स्टेम सेल कल्चर की जाँच की।"
सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में मांसपेशियों के क्षरण का अध्ययन -- एक महत्वपूर्ण मुद्दा जिसने लंबे समय से अंतरिक्ष चिकित्सा को चुनौती दी है -- नई चिकित्सीय रणनीतियों को सामने ला सकता है।
शुक्ला ने ऑर्बिटल लैब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत के दौरान कहा, "अंतरिक्ष में जाने पर गुरुत्वाकर्षण के न होने के कारण भार चला जाता है और इसलिए मांसपेशियों की क्षति होती है। इसलिए, मेरा प्रयोग यह देख रहा है कि क्या हम कुछ सप्लीमेंट देकर इस मांसपेशियों की क्षति को रोक सकते हैं या इसमें देरी कर सकते हैं।"