नई दिल्ली, 9 जुलाई
पुडुचेरी स्थित इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज एवं अनुसंधान संस्थान (IGMC&RI) की डॉ. कविता वासुदेवन ने कहा कि मौखिक शव परीक्षण एक वैज्ञानिक उपकरण है जो भारत में तपेदिक के खिलाफ लड़ाई में महत्वपूर्ण रूप से सहायक हो सकता है, क्योंकि यह दुनिया के सबसे घातक संक्रमण से होने वाली मृत्यु दर के मूल कारणों की पहचान करने में मदद करता है।
मेडिकल कॉलेज के सामुदायिक चिकित्सा विभाग की डॉ. वासुदेवन ने बताया कि कैसे एक मौखिक शव परीक्षण मॉडल टीबी के उपचार में देरी के पैटर्न और टीबी से होने वाली मौतों के कारणों की पहचान करने और रेफरल प्रक्रिया को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है।
डॉक्टर ने कहा, "टीबी से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए एक व्यापक दृष्टिकोण आवश्यक है, जिसमें गुणवत्तापूर्ण निदान, उपचार के लिए प्रभावी दवाओं, रोकथाम रणनीतियों और बीमारी से जुड़ी मृत्यु दर के अंतर्निहित कारणों की पहचान के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण टीबी देखभाल का प्रावधान शामिल है। टीबी से होने वाली मृत्यु दर के कारणों की पहचान करने से इन मौतों के कारणों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मिल सकती है।"
मौखिक शव-परीक्षा एक साक्षात्कार-आधारित प्रक्रिया है, जिसमें मृतक के करीबी रिश्तेदारों या देखभाल करने वालों से मृत्यु के कारणों और परिस्थितियों के बारे में प्रश्न पूछे जाते हैं।