नई दिल्ली, 16 जुलाई
बुधवार को जारी एक नई रिपोर्ट के अनुसार, तीव्र चिकित्सा में तेज़ी के कारण, भारतीय दवा बाज़ार (आईपीएम) जून में साल-दर-साल 11.5 प्रतिशत की मज़बूत दर से बढ़ा।
इसकी तुलना में, पिछले साल जून में आईपीएम में 7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई थी। मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज़ की मासिक रिपोर्ट से पता चला है कि मई 2025 में दवा बाज़ार में 6.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
इसमें बताया गया है कि यह नवीनतम वृद्धि श्वसन, हृदय, केंद्रीय तंत्रिका तंत्र (सीएनएस) और दर्द चिकित्सा जैसे क्षेत्रों में मज़बूत प्रदर्शन के कारण हुई, जिनका प्रदर्शन जून में आईपीएम से बेहतर रहा।
मौसमी बदलाव के कारण जून में तीव्र चिकित्सा में वृद्धि 11 प्रतिशत रही (जून 2024 में 7 प्रतिशत और मई 2025 में 5 प्रतिशत की तुलना में)। उल्लेखनीय रूप से, जून में एंटी-इन्फेक्टिव दवाओं की बिक्री में पिछले महीनों की तुलना में साल-दर-साल वृद्धि में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले 12 महीनों में आईपीएम की वृद्धि में कीमत (4.2 प्रतिशत), उसके बाद नए लॉन्च (2.3 प्रतिशत) और मात्रा वृद्धि (1.5 प्रतिशत) का योगदान रहा।
इसके अलावा, उद्योग ने मूविंग एनुअल टर्नओवर (एमएटी) के आधार पर भी साल-दर-साल 8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की।
क्रॉनिक थेरेपी में साल-दर-साल 10 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई, जबकि एक्यूट थेरेपी में साल-दर-साल 6.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। हृदय संबंधी थेरेपी में साल-दर-साल सबसे अधिक वृद्धि (11.8 प्रतिशत) हुई, इसके बाद सीएनएस (9.1 प्रतिशत) और डर्मा (8.6 प्रतिशत) का स्थान रहा।