अहमदाबाद, 22 अगस्त
अहमदाबाद के खोखरा स्थित सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट हाई स्कूल में हुई एक चौंकाने वाली घटना से शहर में शोक और आक्रोश का माहौल है। दसवीं कक्षा के एक छात्र की उसके ही एक साथी छात्र ने चाकू मारकर हत्या कर दी। इस घटना के बाद स्कूल के बाहर बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जहाँ हज़ारों लोग - जिनमें पीड़ित का परिवार, सिंधी समुदाय के सदस्य, अभिभावक और हिंदू संगठन शामिल थे - न्याय की माँग को लेकर जमा हुए।
क्राइम ब्रांच ने अब स्कूल और उसके प्रिंसिपल डॉ. जी. इमैनुएल पर लापरवाही का मामला दर्ज किया है। जाँचकर्ताओं के अनुसार, स्कूल प्रशासन ने चाकूबाजी की घटना की सूचना पुलिस को नहीं दी और पीड़ित के परिवार को सूचित करने में देरी की।
स्कूल के खिलाफ धारा 211 और 239 के तहत एक अलग प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें उसे छात्र की मौत में शामिल संभावित चूकों के लिए ज़िम्मेदार ठहराया गया है। जाँच में गंभीर लापरवाही सामने आई है - घायल छात्र लगभग 38 मिनट तक बिना किसी चिकित्सकीय सहायता के खून बहता रहा।
परिसर में वाहन होने के बावजूद, स्कूल ने न तो तुरंत अस्पताल पहुँचाने की व्यवस्था की और न ही प्राथमिक उपचार प्रदान किया।
अधिकारियों का आरोप है कि स्कूल ने हमले से पहले के हफ़्तों में आरोपी और पीड़ित के बीच बार-बार हुई झड़पों को नज़रअंदाज़ किया, जबकि हिंसा बढ़ने की स्पष्ट चेतावनी दी गई थी।
कथित तौर पर यह जानलेवा हमला बदले की कार्रवाई थी। आरोपी छात्र, जो पहले हुए किसी झगड़े से रंजिश रखता था, ने स्कूल के समय के बाद अपने सात-आठ साथियों को इकट्ठा किया और पीड़ित पर चाकू से हमला कर दिया।
लड़के को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। इस मामले में अब तक दो नाबालिगों को हिरासत में लिया गया है।
अब सुर्खियाँ स्कूल के प्रधानाचार्य और भारतीय स्कूल प्रमाणपत्र परीक्षा परिषद (CISCE) के अध्यक्ष डॉ. इमैनुएल पर आ गई हैं।
अभिभावकों का आरोप है कि उन्होंने स्कूल के भीतर बदमाशी और हिंसा की बार-बार की गई शिकायतों को नज़रअंदाज़ किया। सेवेंथ डे एडवेंटिस्ट स्कूल, वैश्विक सेवेंथ-डे एडवेंटिस्ट चर्च संगठन के तहत एशलॉक ट्रस्ट द्वारा संचालित है, जो दुनिया भर में हज़ारों स्कूलों और कॉलेजों का संचालन करता है।
इस हत्या ने छात्रों की सुरक्षा, स्कूल की जवाबदेही और परिसर में हिंसा को रोकने में प्रशासकों की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।