नई दिल्ली, 22 सितंबर
हालांकि कुपोषण आमतौर पर उचित पोषण की कमी से जुड़ा होता है, लेकिन स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को कहा कि यह मोटापे और मधुमेह के लिए एक बढ़ता हुआ जोखिम कारक भी है।
यूनिसेफ के अनुसार, 2025 में, स्कूली बच्चों और किशोरों में मोटापे का वैश्विक प्रसार पहली बार कम वजन वाले बच्चों से अधिक हो जाएगा।
कुपोषण के संदर्भ में यह नाटकीय बदलाव बच्चों, समुदायों और राष्ट्रों के स्वास्थ्य और भविष्य की संभावनाओं को खतरे में डालता है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसी की बाल पोषण रिपोर्ट ने खुलासा किया है कि कैसे अस्वास्थ्यकर खाद्य वातावरण बच्चों और किशोरों में दुनिया भर में अधिक वजन और मोटापे में वृद्धि में योगदान दे रहा है।
आईएमए कोचीन की वैज्ञानिक समिति के अध्यक्ष डॉ. राजीव जयदेवन ने बताया, "जब हम कुपोषण के बारे में सोचते हैं, तो हमारे मन में आमतौर पर दुबले-पतले बच्चे या ऐसे वयस्क आते हैं जिनका विकास ठीक से नहीं हुआ है। लेकिन आज की दुनिया में, कुपोषण मोटापे का कारण भी बन सकता है। कम जागरूकता वाले गरीब पृष्ठभूमि के लोग अक्सर सस्ते खाद्य पदार्थ और पेय पदार्थ खरीदते हैं जिनमें चीनी और वसा ज़्यादा होती है, लेकिन पोषण कम होता है।"