मुंबई, 7 मई || प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण ने बुधवार को जेनसोल इंजीनियरिंग लिमिटेड की उस अपील को खारिज कर दिया, जिसमें उसने फंड डायवर्जन और गवर्नेंस संबंधी चिंताओं के मुद्दे पर उसे और उसके प्रमोटर अनमोल सिंह जग्गी तथा पुनीत सिंह जग्गी को सेबी के अंतरिम आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी।
अपीलीय न्यायाधिकरण की न्यायमूर्ति पी.एस. दिनेश कुमार और तकनीकी सदस्य मीरा स्वरूप की पीठ ने कंपनी को अस्थायी एकपक्षीय आदेश पर भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को जवाब देने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है और बाजार नियामक को चार सप्ताह के भीतर जेनसोल के मामले में अंतिम आदेश देने का निर्देश दिया है।
15 अप्रैल को, सेबी ने एक विस्तृत अंतरिम आदेश जारी किया, जिसमें दिखाया गया कि जेनसोल में क्या गलत हुआ। आदेश में कहा गया कि जग्गी बंधुओं सहित जेनसोल के प्रमोटरों ने कंपनी को अपने निजी 'गुल्लक' की तरह इस्तेमाल किया। कोई उचित वित्तीय नियंत्रण नहीं था, और प्रमोटरों ने ऋण राशि को अपने या संबंधित संस्थाओं में डायवर्ट कर दिया था।
जेनसोल ने वित्त वर्ष 2022 और वित्त वर्ष 2024 के बीच भारतीय अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (IREDA) और पावर फाइनेंस कॉरपोरेशन (PFC) लिमिटेड से 977.75 करोड़ रुपये का ऋण प्राप्त किया था। इसमें से 663.89 करोड़ रुपये विशेष रूप से 6,400 इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद के लिए थे। हालांकि, आपूर्तिकर्ता गो-ऑटो द्वारा सत्यापित कंपनी ने केवल 4,704 वाहन खरीदने की बात स्वीकार की, जिनकी कीमत 567.73 करोड़ रुपये थी।