नई दिल्ली, 8 मई
गुरुवार को हुए एक अध्ययन के अनुसार, भले ही प्रौद्योगिकी उद्योग में भूमिकाएँ स्वचालन और AI द्वारा फिर से आकार ले रही हों, लेकिन भारत में नियोक्ताओं को प्रतिभा की ज़रूरतों को हल करने और प्रतिस्पर्धात्मकता बनाए रखने के लिए ‘भूमिका को फिर से डिज़ाइन’ करने की रणनीति पर विचार करना चाहिए।
वैश्विक शिक्षण कंपनी पियर्सन के शोध में देखा गया कि देश में अगले पाँच वर्षों में उभरती हुई प्रौद्योगिकी द्वारा तकनीकी कार्यबल कैसे विकसित हो सकता है और कैसे फिर से आकार ले सकता है।
इसके लिए, अध्ययन ने भारत में पाँच सबसे आम और उच्च-मूल्य वाली तकनीकी भूमिकाओं पर ध्यान केंद्रित किया - सिस्टम सॉफ़्टवेयर डेवलपर्स, प्रोग्रामर, नेटवर्क आर्किटेक्ट, सिस्टम आर्किटेक्ट/इंजीनियर और सिस्टम विश्लेषक।
निष्कर्षों से पता चला कि ये अत्यधिक मूल्यवान कर्मचारी 2029 तक सप्ताह में लगभग आधा दिन बचा लेंगे - सिर्फ़ प्रौद्योगिकी के साथ प्रमुख कार्यों को बढ़ाकर और स्वचालित करके।
यह नियोक्ताओं से भूमिकाओं को फिर से डिज़ाइन करने के बारे में रचनात्मक और सक्रिय रूप से सोचना शुरू करने का आग्रह करता है ताकि प्रौद्योगिकी का अधिक प्रभावी ढंग से उपयोग करने में मदद मिल सके और कर्मचारी इस बचाए गए समय का उपयोग कौशल बढ़ाने के लिए कर सकें।
"भारत की तेजी से विकसित हो रही डिजिटल अर्थव्यवस्था में, व्यवसाय कार्यबल विकास को बाद की बात नहीं मान सकते। हमारे अध्ययन से पता चलता है कि भूमिकाओं को रणनीतिक रूप से फिर से डिज़ाइन करके और उन्हें बदलने के बजाय, नियोक्ता अपनी मौजूदा टीमों के भीतर महत्वपूर्ण मूल्य अनलॉक कर सकते हैं," विनय कुमार स्वामी, कंट्री हेड- पियर्सन इंडिया ने कहा।
यह रणनीति नियोक्ताओं को नए कुशल लोगों के साथ उन्हें बदलने के बजाय मौजूदा श्रमिकों का बेहतर उपयोग करने में मदद कर सकती है। यह अनिवार्य रूप से अपने स्वयं के कार्यबल के भीतर प्रतिभा की जरूरतों को पूरा करेगा और इन मूल्यवान कर्मचारियों के लिए नौकरी की चपलता और सुरक्षा प्रदान करेगा।