चेन्नई, 18 जून
तमिलनाडु में थूथुकुडी मछली पकड़ने के बंदरगाह से 61 दिन के मौसमी प्रतिबंध के बाद 200 से अधिक मशीनी नावें समुद्र में निकलीं और भारी मात्रा में मछलियाँ लेकर लौटीं, जिससे मछुआरों और व्यापारियों दोनों में खुशी की लहर दौड़ गई।
मंगलवार को सुबह 5 बजे रवाना हुई नावें रात 9 बजे वापस आ गईं, जिनमें कई टन मछलियाँ थीं, जिनमें साला, उली, पाराई, सीला, कनवा, एंथिली और ऐलाई शामिल थीं।
बंदरगाह पर लगातार दूसरे दिन मछलियों की भारी आमद देखी गई, जिससे तमिलनाडु और केरल में व्यापारिक गतिविधियाँ तेज़ हो गईं और खरीदारों की ओर से भारी माँग देखने को मिली। कीमतें मांग के अनुरूप थीं: साला की एक टोकरी 2,000 रुपये में बिकी, विलाई 4,500 - 6,000 रुपये में, एंथिली 4,500 रुपये में, पाराई 6,000 रुपये में और उली 7,500 - 10,000 रुपये में बिकी।
सीला जैसी प्रीमियम किस्में 900 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिकीं। पोन्नमपराई और ऐलाई जैसी मछलियों की किस्मों की औसत कीमत 2,500 रुपये प्रति टोकरी थी।
स्थानीय लोगों और थोक विक्रेताओं दोनों के ताजा मछली पकड़ने के लिए इकट्ठा होने से बंदरगाह पर चहल-पहल बढ़ गई। मछुआरों ने सीजन की लाभदायक शुरुआत पर खुशी जताई। हालांकि, उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों से नाव संचालकों पर वित्तीय बोझ कम करने के लिए डीजल की कीमतों और करों को कम करने की अपील की।