नई दिल्ली, 3 जुलाई
भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) ने गुरुवार को कहा कि वित्त वर्ष 2026 में भारत की वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.4-6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जिससे दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में देश की स्थिति मजबूत होगी।
सीआईआई के अध्यक्ष राजीव मेमानी ने कहा कि ऐसे समय में जब वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक अस्थिरता दो दशकों में अपने उच्चतम स्तर पर है, भारत तेजी से खंडित होती वैश्विक अर्थव्यवस्था में एक उज्ज्वल स्थान के रूप में सामने आया है।
राष्ट्रीय राजधानी में सीआईआई के एक कार्यक्रम में बोलते हुए मेमानी ने कहा कि प्रतिस्पर्धा भारत की समृद्धि का पासपोर्ट है।
उन्होंने कहा, "लेकिन इसे सुधार, नवाचार और विश्वास के माध्यम से अर्जित किया जाना चाहिए। सीआईआई सरकार, उद्योग और नागरिकों के साथ मिलकर काम करने के लिए प्रतिबद्ध है, ताकि भारत को एक आत्मविश्वासी, प्रतिस्पर्धी और वैश्विक रूप से जुड़ी अर्थव्यवस्था के रूप में उभरने में मदद मिल सके।" उन्होंने यह भी कहा कि भारत की आंतरिक गति बाहरी झटकों को झेलने के लिए पर्याप्त मजबूत है।
ऐसी दुनिया में जहां व्यापार और प्रौद्योगिकी के नियम तेजी से बदल रहे हैं, हमें भारत की वृद्धि को प्रतिस्पर्धात्मकता में टिकाना चाहिए, जो पैमाने, उत्पादकता, नवाचार और लचीलेपन पर आधारित हो। यह हमारा समय है। लेकिन हमें इसे जब्त करने के लिए निर्णायक रूप से कार्य करना चाहिए, उन्होंने जोर दिया।
राजकोषीय संतुलन बनाए रखते हुए विकासात्मक और बुनियादी ढांचे की जरूरतों को पूरा करने में सक्षम होने के लिए, सीआईआई सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों के कैलिब्रेटेड विनिवेश के माध्यम से सरकारी राजस्व बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का सुझाव देता है।