नई दिल्ली, 28 अगस्त
वैज्ञानिकों ने दिखाया है कि जब मस्तिष्क कोशिकाएँ हफ़्तों तक लगातार अतिसक्रिय रहती हैं, तो वे क्षीण हो जाती हैं और अंततः मर जाती हैं। यह खोज पार्किंसंस रोग से पीड़ित लोगों के मस्तिष्क में क्या गड़बड़ होती है, यह समझने में मदद कर सकती है।
शोधकर्ताओं को लंबे समय से पता है कि पार्किंसंस रोग बढ़ने पर न्यूरॉन्स का एक विशेष उपसमूह नष्ट हो जाता है, लेकिन वे इसका कारण नहीं जानते थे।
ईलाइफ पत्रिका में प्रकाशित नए अध्ययन से पता चलता है कि चूहों में, इन न्यूरॉन्स की लगातार सक्रियता सीधे उनकी मृत्यु का कारण बन सकती है।
वैज्ञानिकों का अनुमान है कि पार्किंसंस रोग में, न्यूरॉन्स का अतिसक्रिय होना आनुवंशिक कारकों, पर्यावरणीय विषाक्त पदार्थों और अन्य खोए हुए न्यूरॉन्स की भरपाई करने की आवश्यकता के संयोजन से शुरू हो सकता है।
अमेरिका में ग्लैडस्टोन इंस्टीट्यूट्स के अन्वेषक केन नाकामुरा ने कहा, "पार्किंसंस अनुसंधान क्षेत्र में एक व्यापक प्रश्न यह रहा है कि इस रोग के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील कोशिकाएँ क्यों मर जाती हैं।"
नाकामुरा ने आगे कहा, "इस प्रश्न का उत्तर देने से हमें यह समझने में मदद मिल सकती है कि यह बीमारी क्यों होती है और इसके इलाज के नए तरीके भी पता चल सकते हैं।"