नई दिल्ली, 15 मई
एक भारतीय मूल के शोधकर्ता के नेतृत्व में किए गए अध्ययन के अनुसार, एक संरचित ऑनलाइन पोषण कार्यक्रम आहार पालन में प्रमुख बाधाओं को दूर करके भारत की मधुमेह महामारी को संबोधित कर सकता है।
अमेरिका स्थित फिजिशियन कमेटी फॉर रिस्पॉन्सिबल मेडिसिन (पीसीआरएम) के नेतृत्व में किए गए अध्ययन से पता चला है कि जिन प्रतिभागियों ने चिकित्सक के नेतृत्व वाले, प्लांट-बेस्ड पोषण कार्यक्रम का पालन किया, उनके स्वास्थ्य में मापनीय सुधार हुआ। इसमें दवा का उपयोग, शरीर का वजन, रक्त शर्करा और कोलेस्ट्रॉल के स्तर में कमी शामिल थी।
अमेरिकन जर्नल ऑफ लाइफस्टाइल मेडिसिन में प्रकाशित पेपर में टीम ने कहा कि निष्कर्ष भारत के लिए संभावित अंतर्दृष्टि प्रदान करते हैं, जहां मधुमेह वर्तमान में 101 मिलियन से अधिक वयस्कों को प्रभावित करता है, जिसमें अतिरिक्त 136 मिलियन प्रीडायबिटीज चरण में हैं।
पीसीआरएम के साथ आंतरिक चिकित्सा चिकित्सक, प्रमुख लेखक डॉ. वनिता रहमान ने कहा, "भारत के मधुमेह संकट के लिए ऐसे समाधानों की आवश्यकता है जो हमारी स्वास्थ्य सेवा वास्तविकताओं के भीतर काम करें।" रहमान ने कहा, "हालांकि हम लंबे समय से जानते हैं कि आहार में बदलाव मधुमेह को प्रभावी ढंग से नियंत्रित कर सकते हैं, लेकिन सीमित परामर्श समय, असंगत अनुवर्ती कार्रवाई और पहुंच संबंधी बाधाओं के कारण कार्यान्वयन चुनौतीपूर्ण रहा है - विशेष रूप से टियर-2 और टियर-3 शहरों में।" अध्ययन में उन आम चुनौतियों पर ध्यान दिया गया है जिनका सामना भारतीय मरीज जीवनशैली में बदलाव करने की कोशिश करते समय करते हैं, जैसे कि पहुंच; संरचित समर्थन; व्यावहारिक कार्यान्वयन; और लगातार अनुवर्ती कार्रवाई।