नई दिल्ली, 24 जून
आईसीएमआर-सेंटर फॉर रिसर्च मैनेजमेंट एंड कंट्रोल ऑफ हीमोग्लोबिनोपैथीज (सीआरएचसीएम) की निदेशक डॉ. मनीषा मडकाइकर ने कहा कि 2019-2024 के बीच सिकल सेल रोग (एससीडी) के लिए नवजात शिशु जांच कार्यक्रम ने मृत्यु दर को पहले के 20 से 30 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत से कम कर दिया है।
मडकाइकर ने बताया कि नवजात शिशु जांच कार्यक्रम 2019-2024 ने पाया कि प्रारंभिक निदान से क्रोनिक, सिंगल-जीन विकार के परिणामों में काफी सुधार हो सकता है।
एससीडी एक क्रोनिक, सिंगल-जीन विकार है जो एक दुर्बल करने वाला प्रणालीगत सिंड्रोम होता है, जिसमें क्रोनिक एनीमिया, तीव्र दर्दनाक एपिसोड, अंग रोधगलन और क्रोनिक अंग क्षति होती है, जिससे जीवन प्रत्याशा में काफी कमी आती है।
आनुवंशिक रक्त विकार रोगी के पूरे जीवन को प्रभावित करता है, क्योंकि यह विभिन्न गंभीर स्वास्थ्य जटिलताओं का कारण बनता है।
मडकाइकर ने बताया, "सिकल सेल रोग के लिए नवजात शिशु स्क्रीनिंग कार्यक्रम की सिफारिश की जाती है, क्योंकि जितनी जल्दी आप सिकल सेल रोग का निदान करते हैं, आप पेनिसिलिन प्रोफिलैक्सिस, कुछ विटामिन, उचित टीकाकरण और फिर हाइड्रोक्सीयूरिया थेरेपी के रूप में व्यापक देखभाल शुरू कर सकते हैं।"