नई दिल्ली, 30 अक्टूबर
एक अध्ययन के अनुसार, कमज़ोर हृदय वाले मरीज़ों को, जो दिल के दौरे के तुरंत बाद स्टेम सेल थेरेपी लेते हैं, हार्ट फेलियर होने की संभावना कम होती है।
हार्ट फेलियर दिल के दौरे के बाद तब हो सकता है जब हृदय की मांसपेशी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाती है, जिससे रक्त को प्रभावी ढंग से पंप करने की उसकी क्षमता कमज़ोर हो जाती है।
यह एक अचानक होने वाली जटिलता (तीव्र हृदय विफलता) या दीर्घकालिक हो सकती है। इसके लक्षणों में साँस लेने में तकलीफ़, थकान, पैरों में सूजन और अनियमित दिल की धड़कन शामिल हैं।