नई दिल्ली, 27 जून
एक अध्ययन के अनुसार, नींद के पैटर्न सप्ताह के दिन, मौसम और भौगोलिक स्थानों से काफी प्रभावित होते हैं।
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया में फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं के नेतृत्व में किया गया यह अध्ययन 116,000 से अधिक वयस्कों और 73 मिलियन से अधिक रातों की नींद के डेटा पर आधारित है। समाचार एजेंसी ने बताया कि टीम ने 3.5 वर्षों में नींद की अवधि और समय को निष्पक्ष रूप से ट्रैक करने के लिए एक अंडर-मैट्रेस डिवाइस का उपयोग किया।
अध्ययन में पाया गया कि नींद सिर्फ़ व्यक्तिगत आदतों से नहीं बल्कि दिन के उजाले, तापमान और साप्ताहिक दिनचर्या जैसे पर्यावरणीय कारकों से भी प्रभावित होती है।
फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय में नींद के स्वास्थ्य विशेषज्ञ हन्ना स्कॉट ने कहा, "हमारे निष्कर्ष मानव नींद की मौसमी प्रकृति को रेखांकित करते हैं, और यह जनसांख्यिकी और भूगोल से प्रभावित होता है।"
उत्तरी गोलार्ध में रहने वाले लोग सर्दियों में 15 से 20 मिनट अधिक सोते हैं, जबकि दक्षिणी गोलार्ध में रहने वाले लोग गर्मियों में कम सोते हैं।
स्कॉट ने कहा, "दिलचस्प बात यह है कि हमने पाया कि आप भूमध्य रेखा से जितना दूर रहते हैं, नींद में मौसमी बदलाव उतना ही अधिक होता है।"
लोग देर से सोते हैं और सप्ताहांत में अधिक देर तक सोते हैं, जिससे कुछ खोई हुई नींद पूरी हो जाती है, खासकर मध्यम आयु वर्ग के वयस्क काम और परिवार के बीच संतुलन बनाते हैं।
स्लीप में प्रकाशित अध्ययन के अनुसार, ये अनियमित पैटर्न तेजी से नकारात्मक स्वास्थ्य प्रभावों से जुड़े हैं।