श्रीनगर, 10 जुलाई
जम्मू-कश्मीर में उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली सरकार ने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा से अनुरोध किया है कि 13 जुलाई और 5 दिसंबर को क्रमशः शहीद दिवस और नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) के संस्थापक दिवंगत शेख मोहम्मद अब्दुल्ला के जन्मदिन के अवसर पर सार्वजनिक अवकाश बहाल किया जाए।
13 जुलाई और 5 दिसंबर, दोनों ही पूर्ववर्ती जम्मू-कश्मीर राज्य में सरकारी अवकाश थे और इन्हें निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट 1881 के तहत सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था।
5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 के निरस्त होने और जम्मू-कश्मीर के दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजन के बाद, इन दोनों छुट्टियों को सरकार की छुट्टियों की सूची से हटा दिया गया था।
13 जुलाई 1931 में इसी दिन श्रीनगर सेंट्रल जेल पर धावा बोलने वाले प्रदर्शनकारियों की मौत का दिन है। ये प्रदर्शनकारी एक अंग्रेज अधिकारी के पठान बटलर अबुल कादिर के खिलाफ बंद कमरे में चल रहे मुकदमे के खिलाफ थे। अबुल कादिर ने एक भाषण दिया था जिसमें लोगों से डोगरा महाराजा हरि सिंह के निरंकुश शासन के खिलाफ आवाज उठाने का आह्वान किया गया था। जेल प्रहरियों की गोलीबारी में 22 प्रदर्शनकारी मारे गए, जिन्हें पुराने श्रीनगर शहर में स्थित नक्शबंद साहिब दरगाह के परिसर में दफनाया गया। बाद में इस कब्रिस्तान को शहीदों का कब्रिस्तान घोषित कर दिया गया और 1947 में स्वतंत्रता के बाद, जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा इस दिन को शहीद दिवस के रूप में मनाया जाने लगा।