नई दिल्ली, 12 जुलाई
उत्तरी ज़िले के साइबर पुलिस स्टेशन ने एक अंतरराज्यीय साइबर धोखाधड़ी गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसने दिल्ली की एक महिला को टेलीग्राम पर फ़र्ज़ी ऑनलाइन "पेड टास्क" का लालच देकर 11 लाख रुपये ठगे।
इस कार्रवाई में उत्तर प्रदेश के मेरठ और मुज़फ़्फ़रनगर से पाँच आरोपियों को गिरफ़्तार किया गया।
शास्त्री नगर निवासी पीड़िता को एक टेलीग्राम लिंक मिला, जिसमें आसान ऑनलाइन टास्क पूरे करने पर आकर्षक रिटर्न देने की बात कही गई थी। धोखाधड़ी का एहसास होने और एनसीआरपी पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराने से पहले उसने कई ट्रांजेक्शन में 11 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी गई।
इंस्पेक्टर मनीष कुमार के नेतृत्व और एसीपी हेमंत कुमार मिश्रा की निगरानी में एक पुलिस टीम ने 100 से ज़्यादा मोबाइल नंबरों और बैंक ट्रांजेक्शन का विस्तृत तकनीकी विश्लेषण किया।
मेरठ और मुज़फ़्फ़रनगर में लगातार की गई छापेमारी और ट्रैकिंग के बाद 25 जून को कार्तिक सैनी और वरुण कुमार को गिरफ़्तार किया गया, उसके बाद 7 जुलाई को शारिम खान और 9 जुलाई को हुमैद खान और सुहैल सैफी को गिरफ़्तार किया गया।
पूछताछ के दौरान, आरोपियों ने दो अलग-अलग श्रृंखलाओं से जुड़े एक स्तरित घोटाले का खुलासा किया। कार्तिक और वरुण ने बैंक खाते खोले और यश नाम के एक व्यक्ति के साथ अपनी पहुँच की जानकारी साझा की, जिसने धोखाधड़ी से प्राप्त धनराशि को इधर-उधर पहुँचाया और उन्हें कमीशन दिया।
इस बीच, शारिम, हुमैद और सुहैल ने एक समानांतर श्रृंखला में इसी तरह की सेवाएँ प्रदान कीं।
हुमैद ने दावा किया कि उसने रूस में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे अपने दोस्त समीर मलिक के निर्देश पर काम किया।
डीसीपी राजा बंठिया ने कहा, "आरोपियों के पास से कुल पाँच मोबाइल फ़ोन, पाँच सिम कार्ड, तीन चेक बुक और दो एटीएम कार्ड बरामद किए गए। इन मोबाइल फ़ोनों के डेटा विश्लेषण के अनुसार, यह पाया गया कि आरोपी हुमैद खान और वरुण कुमार धोखेबाजों को बैंक खाते उपलब्ध कराने वाले मुख्य साज़िशकर्ता हैं।"
पुलिस को शक है कि एक बड़ा रैकेट चल रहा है, और एक ही बैंक खाते से जुड़े कई मामले सामने आ रहे हैं। आगे की जाँच जारी है।