नई दिल्ली, 12 जुलाई
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की जल्द ही कर व्यवस्था की समीक्षा के लिए बैठक होने की उम्मीद है। आठ साल पहले 1 जुलाई, 2017 को इस योजना की घोषणा के बाद से यह सबसे महत्वपूर्ण समीक्षा हो सकती है।
रिपोर्टों के अनुसार, उपभोक्ता वस्तुओं, जिन पर वर्तमान में सबसे अधिक कर स्लैब लागू है, पर कर दरों का व्यापक पुनर्मूल्यांकन और क्षतिपूर्ति उपकर आगामी बैठक के शीर्ष एजेंडा में शामिल हो सकते हैं।
शुद्ध टर्म बीमा पॉलिसियों को वर्तमान 18 प्रतिशत कर दर से शून्य-कर स्लैब में लाना भी परिषद की मेज पर एक प्रमुख प्रस्ताव हो सकता है।
जीवन बीमा क्षेत्र 12 प्रतिशत कर की मांग कर रहा है, लेकिन रिपोर्टों के अनुसार, केंद्र मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं की मदद के लिए और आगे बढ़ने को तैयार है।
रिपोर्टों में कहा गया है कि परिषद जीवन बीमा को वर्तमान दर से शून्य-कर स्लैब में लाने पर विचार कर सकती है। स्वास्थ्य बीमा खरीदारों को भी कुछ राहत की उम्मीद हो सकती है।
12 प्रतिशत जीएसटी स्लैब को पूरी तरह से खत्म करने पर चर्चा हो सकती है। इससे कई वस्तुओं पर कर कम हो सकते हैं।
एक साल से ज़्यादा समय से जीएसटी को सरल बनाने पर चर्चा चल रही है, लेकिन कोई प्रगति नहीं हुई है।
इस बीच, इस साल जून में, भारत ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के रूप में 1.85 लाख करोड़ रुपये का संग्रह किया, जो पिछले वर्ष के इसी महीने की तुलना में 6.2 प्रतिशत की वृद्धि है।
1.8 लाख करोड़ रुपये से ऊपर रहने की मज़बूत वृद्धि के बावजूद, संग्रह अप्रैल में 2.37 लाख करोड़ रुपये और मई में 2.01 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड उच्च स्तर से कम रहा।
सरकार ने कहा कि जीएसटी के कार्यान्वयन की आठवीं वर्षगांठ के अवसर पर, संग्रह पिछले पाँच वर्षों में दोगुना होकर वित्त वर्ष 2025 में रिकॉर्ड 22.08 लाख करोड़ रुपये तक पहुँच गया है, जो वित्त वर्ष 2021 में 11.37 लाख करोड़ रुपये था।
जीएसटी व्यवस्था के अंतर्गत पिछले आठ वर्षों में करदाताओं की संख्या दोगुनी से भी अधिक बढ़कर 60 लाख से 1.51 करोड़ हो गई है।