नई दिल्ली, 16 जुलाई
एक अध्ययन के अनुसार, श्रवण हानि और अकेलेपन की भावनाएँ मिलकर संज्ञानात्मक गिरावट को बढ़ाती हैं, जिससे वृद्धों में मनोभ्रंश होता है।
स्विट्जरलैंड स्थित जिनेवा विश्वविद्यालय (UNIGE) के शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि अलगाव, संवाद संबंधी कठिनाइयाँ, सतर्कता में कमी और श्रवण हानि या श्रवण हानि दैनिक जीवन में एक वास्तविक चुनौती हैं।
कम्युनिकेशन्स साइकोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चला है कि श्रवण हानि संज्ञानात्मक गिरावट को तेज करती है, खासकर उन व्यक्तियों में जो अकेलापन महसूस करते हैं, चाहे वे सामाजिक रूप से अलग-थलग हों या नहीं।
UNIGE में संज्ञानात्मक वृद्धावस्था प्रयोगशाला के प्रोफेसर मैथियास क्लीगल ने कहा, "हमने पाया कि जो लोग सामाजिक रूप से अलग-थलग नहीं थे, लेकिन जो अकेलापन महसूस करते थे, उनकी संज्ञानात्मक गिरावट बहरेपन के दौरान तेज हो गई।"
टीम ने स्मृति पर श्रवण हानि और अकेलेपन के संयुक्त प्रभाव की जांच करने के लिए यूरोप के 12 देशों के 33,000 वृद्धों के आंकड़ों का विश्लेषण किया।
उन्होंने सामाजिक अलगाव और अनुभूत अकेलेपन की मात्रा के आधार पर तीन अलग-अलग प्रोफाइल पाए: वे व्यक्ति जो सामाजिक रूप से अलग-थलग हैं और अकेलापन महसूस करते हैं; वे व्यक्ति जो सामाजिक रूप से अलग-थलग नहीं हैं, लेकिन फिर भी अकेलापन महसूस करते हैं; और वे व्यक्ति जो सामाजिक रूप से अलग-थलग हैं, लेकिन अकेलापन महसूस नहीं करते।
यह अध्ययन संज्ञानात्मक गिरावट को रोकने के प्रयासों में श्रवण हानि और व्यक्तियों के सामाजिक एवं भावनात्मक आयामों, दोनों को संबोधित करने के महत्व का समर्थन करता है।