नई दिल्ली, 22 जुलाई
केंद्रीय वस्त्र मंत्री गिरिराज सिंह ने मंगलवार को संसद को बताया कि पिछले तीन वर्षों में भारत का सूती वस्त्रों का कुल निर्यात 35.642 अरब डॉलर को पार कर गया है, जिसमें सूती धागा, सूती कपड़े, मेड-अप, अन्य वस्त्र धागा, फैब्रिक मेड-अप और कच्चा कपास शामिल हैं।
मंत्री ने यह भी बताया कि विज़न 2030 के अनुरूप कपास की उत्पादकता और गुणवत्ता बढ़ाने, नवाचार को बढ़ावा देने और संपूर्ण वस्त्र मूल्य श्रृंखला को मज़बूत करने के लिए, वित्त मंत्री ने 2025-26 के बजट में पाँच वर्षीय 'कपास उत्पादकता मिशन' की घोषणा की थी।
कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग (DARE) इस मिशन के कार्यान्वयन के लिए नोडल विभाग है, जिसमें वस्त्र मंत्रालय भागीदार है। इस मिशन का उद्देश्य सभी कपास उत्पादक राज्यों में अनुसंधान और विस्तार गतिविधियों सहित रणनीतिक हस्तक्षेपों के माध्यम से कपास उत्पादन को बढ़ावा देना है।
मिशन में उन्नत प्रजनन और जैव प्रौद्योगिकी उपकरणों का उपयोग करके जलवायु-अनुकूल, कीट-प्रतिरोधी और उच्च उपज देने वाली कपास की किस्मों, जिनमें एक्स्ट्रा लॉन्ग स्टेपल (ईएलएस) कपास भी शामिल है, के विकास पर भी ध्यान केंद्रित करने का प्रस्ताव है।
आईसीएआर-केंद्रीय कपास अनुसंधान संस्थान (सीआईसीआर), नागपुर द्वारा आठ प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में 'कृषि-पारिस्थितिक क्षेत्रों के लिए प्रौद्योगिकियों का लक्ष्यीकरण - कपास उत्पादकता बढ़ाने हेतु सर्वोत्तम प्रथाओं का बड़े पैमाने पर प्रदर्शन' विषय पर एक विशेष परियोजना कार्यान्वित की गई है। मंत्री ने आगे बताया कि इस विशेष परियोजना का कुल परिव्यय 6,032.35 लाख रुपये है।