नई दिल्ली, 22 जुलाई
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को संसद को बताया कि स्टैंड-अप इंडिया योजना के तहत अप्रैल 2022 से मार्च 2025 तक अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों को 28,996.15 करोड़ रुपये के ऋण स्वीकृत किए गए हैं। यह योजना हाशिए पर पड़े वर्गों को वित्तीय और संस्थागत सहायता प्रदान करती है।
वित्त मंत्री ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में बताया कि इन तीन वर्षों के दौरान अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला उद्यमियों के बैंक खातों की संख्या बढ़कर 126,508 हो गई, जिनके लिए ऋण स्वीकृत किए गए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिलाओं और अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति समुदायों के बीच उद्यमिता को बढ़ावा देने के सरकार के प्रयासों के तहत 5 अप्रैल, 2016 को स्टैंड-अप इंडिया योजना शुरू की थी। 'स्टैंड-अप' इंडिया योजना का उद्देश्य विनिर्माण, सेवा या व्यापार क्षेत्र में और कृषि से संबंधित गतिविधियों के लिए ग्रीनफील्ड उद्यम स्थापित करने हेतु प्रत्येक बैंक शाखा में कम से कम एक अनुसूचित जाति (एससी) या अनुसूचित जनजाति (एसटी) उधारकर्ता और एक महिला उधारकर्ता को अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का ऋण प्रदान करना था।
एक आधिकारिक बयान में कहा गया है, "इस योजना के तहत उस श्रेणी (रेटिंग) के लिए बैंक की न्यूनतम लागू दर पर 10 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक का ऋण प्रदान किया गया, जो आधार दर एमसीएलआर+3 प्रतिशत+ अवधि प्रीमियम से अधिक नहीं था, जिसकी पुनर्भुगतान अवधि 7 वर्ष थी और अधिकतम 18 महीने तक की ऋण स्थगन अवधि थी।"
संभावित उधारकर्ताओं को ऋण के लिए बैंकों से जोड़ने के अलावा, ऑनलाइन पोर्टल (www.standupmitra.in) ने भावी एससी, एसटी और महिला उद्यमियों को व्यावसायिक उद्यम स्थापित करने के उनके प्रयासों में मार्गदर्शन प्रदान किया, जिसमें प्रशिक्षण से लेकर बैंक की आवश्यकताओं के अनुसार ऋण आवेदन भरने तक की प्रक्रिया शामिल थी।
वित्त मंत्री ने कहा कि पोर्टल ने संभावित उधारकर्ताओं को विशिष्ट विशेषज्ञता वाली विभिन्न एजेंसियों - कौशल केंद्र, मेंटरशिप सहायता, उद्यमिता विकास कार्यक्रम केंद्र, जिला उद्योग केंद्र - से जोड़ने के लिए पते और संपर्क नंबर के साथ चरण-दर-चरण मार्गदर्शन की सुविधा भी प्रदान की है।