नई दिल्ली, 25 जुलाई
लैंसेट गैस्ट्रोएंटरोलॉजी एंड हेपेटोलॉजी में प्रकाशित एक नए शोधपत्र में वैज्ञानिकों ने तर्क दिया है कि हेपेटाइटिस बी की दवाओं का बहुत कम इस्तेमाल हो रहा है और घातक हेपेटाइटिस बी वायरस (एचबीवी) के शुरुआती इलाज को बढ़ावा देने से समय के साथ कई जानें बच सकती हैं।
एचबीवी हर दिन 3,000 से ज़्यादा लोगों की जान लेता है, यानी हर मिनट 2 से ज़्यादा लोगों की। जिन लोगों का संक्रमण ठीक नहीं होता और उन्हें आगे चलकर क्रोनिक एचबीवी संक्रमण हो जाता है, उनमें से 20 से 40 प्रतिशत लोग इलाज न मिलने पर मर जाएँगे।
विशेषज्ञों ने कहा कि हालाँकि वर्तमान में उपलब्ध दवाएँ लोगों को ठीक नहीं करतीं, फिर भी वे सुरक्षित, प्रभावी और अपेक्षाकृत सस्ती हैं।
सेंट लुइस यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन में मॉलिक्यूलर माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर जॉन टैविस ने कहा, "ये दवाएँ अच्छी हैं, लेकिन इनका बहुत कम इस्तेमाल हो रहा है।"
टैविस ने कहा, "एचबीवी से संक्रमित सभी लोगों में से 3 प्रतिशत से भी कम लोग उपचार प्राप्त कर रहे हैं, और साक्ष्य बताते हैं कि उपचार से और भी अधिक लोगों को लाभ हो सकता है। अगर हम लोगों को पहले से ही दवा देना शुरू कर दें, तो कुल बीमारी और मृत्यु दर बहुत कम हो जाएगी।"