नई दिल्ली, 19 अगस्त
एक अध्ययन के अनुसार, स्मार्टफोन पर सिर्फ़ एक घंटे सोशल मीडिया रील देखने से आँखों में थकान हो सकती है।
जर्नल ऑफ आई मूवमेंट रिसर्च में प्रकाशित अध्ययन में पाया गया कि सिर्फ़ डिजिटल उपकरणों पर बिताया गया समय ही नहीं, बल्कि इस्तेमाल की जा रही सामग्री का प्रकार भी इस स्थिति का कारण बन सकता है।
एसआरएम इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने कहा, "सोशल मीडिया सामग्री पढ़ने या वीडियो देखने की तुलना में पुतलियों में ज़्यादा उतार-चढ़ाव पैदा करती है।"
टीम ने कहा कि "एक बार में 20 मिनट से ज़्यादा लंबे समय तक स्मार्टफोन का इस्तेमाल करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं, जिनमें मनो-शारीरिक विकार भी शामिल हैं।"
डिजिटल उपकरण और नीली रोशनी के लंबे समय तक संपर्क में रहने से आँखों में तनाव, नींद संबंधी विकार और दृष्टि संबंधी समस्याएं होती हैं।
युवा भारतीय वयस्कों में दृश्य थकान पर एक घंटे स्मार्टफोन के इस्तेमाल के प्रभाव की जांच करने के लिए, शोधकर्ताओं ने एक पोर्टेबल, कम लागत वाली प्रणाली विकसित की है जो दृश्य गतिविधि को मापती है।
इस प्रणाली ने पलक झपकने की दर, पलक झपकने के बीच का अंतराल और पुतलियों के व्यास को मापा। स्मार्टफोन पर ई-बुक पढ़ने, वीडियो देखने और सोशल मीडिया रील्स देखने के एक घंटे के दौरान आँखों की गतिविधि को मापा गया।