नई दिल्ली, 19 अगस्त
एक अध्ययन के अनुसार, 11 वर्ष की आयु से पहले यौवन प्राप्त करने वाली लड़कियों या 21 वर्ष की आयु से पहले बच्चे को जन्म देने वाली महिलाओं में टाइप 2 मधुमेह, हृदय गति रुकने और मोटापे का जोखिम दोगुना और गंभीर चयापचय संबंधी विकारों का जोखिम चौगुना होता है।
अमेरिका स्थित बक इंस्टीट्यूट फॉर रिसर्च ऑन एजिंग के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि देर से यौवन और प्रसव आनुवंशिक रूप से लंबी आयु, कम कमज़ोरी, धीमी एपिजेनेटिक उम्र बढ़ने और टाइप 2 मधुमेह और अल्जाइमर सहित उम्र से संबंधित बीमारियों के कम जोखिम से जुड़े हैं।
पंकज कपाही ने कहा, "हम दिखाते हैं कि समय से पहले प्रजनन को बढ़ावा देने वाले आनुवंशिक कारकों की बाद में जीवन में महत्वपूर्ण कीमत चुकानी पड़ती है, जिसमें तेजी से उम्र बढ़ना और बीमारियाँ शामिल हैं। यह समझ में आता है कि जो कारक संतान के जीवित रहने में मदद करते हैं, वही माँ के लिए हानिकारक परिणाम पैदा कर सकते हैं।"
इस बात पर ज़ोर देते हुए कि इस शोध के सार्वजनिक स्वास्थ्य पर महत्वपूर्ण प्रभाव हैं, उन्होंने कहा कि "ये जोखिम कारक, चाहे सकारात्मक हों या नकारात्मक, विभिन्न आयु-संबंधी बीमारियों पर स्पष्ट रूप से महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं और इन्हें समग्र स्वास्थ्य के व्यापक संदर्भ में ध्यान में रखा जाना चाहिए।"
ईलाइफ़ पत्रिका में प्रकाशित यह शोध, आनुवंशिक संबंधों की पुष्टि के लिए ब्रिटेन में लगभग 2,00,000 महिलाओं पर किए गए प्रतिगमन विश्लेषण पर आधारित था।