नई दिल्ली, 13 सितंबर
एक अध्ययन के अनुसार, सोशल मीडिया गर्भनिरोधक गोलियों के प्रति नकारात्मक राय बढ़ा रहा है, जिसके कारण महिलाएं गर्भनिरोधक दवाओं का सेवन शुरू करने के दो साल के भीतर ही उन्हें बंद कर देती हैं।
शेफ़ील्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने गर्भनिरोधक गोलियों के संबंध में एक "नोसेबो प्रभाव" की पहचान की है, जहाँ किसी दवा के सेवन को लेकर नकारात्मक अपेक्षाएँ या चिंता जैसे मनोवैज्ञानिक कारक दवा लेने पर शरीर में शारीरिक प्रतिक्रिया को प्रेरित करते हैं।
गर्भनिरोधक गोलियों के प्रति नोसेबो प्रतिक्रियाएँ वास्तविक होती हैं और इनमें अवसाद, चिंता और थकान की भावनाएँ शामिल हो सकती हैं। नोसेबो प्रभाव, प्लेसीबो प्रभाव का "दुष्ट जुड़वाँ" है, जहाँ लोगों को नकली गोली या गोली लेने से सकारात्मक ऊर्जा मिलती है।
टीम ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कई महिलाएं गर्भनिरोधक के वैकल्पिक लेकिन कम प्रभावी तरीकों का इस्तेमाल करती हैं। कई मामलों में, मौखिक गर्भनिरोधक का उपयोग बंद करने के उनके निर्णय में दुष्प्रभाव मुख्य भूमिका निभाते थे।