नई दिल्ली, 24 अक्टूबर
आयुष मंत्रालय ने शुक्रवार को आयुर्वेद के माध्यम से यकृत स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी की घोषणा की, जो साक्ष्य-आधारित पारंपरिक चिकित्सा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को आगे बढ़ाएगा।
राष्ट्रीय संगोष्ठी - आयुर्वेद के माध्यम से यकृत स्वास्थ्य: समकालीन विज्ञान के साथ पारंपरिक ज्ञान का संयोजन - भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के साथ मिलकर 25 से 26 अक्टूबर तक ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित की जाएगी।
"यकृत सुरक्षा, जीवित रक्षा" (यकृत की रक्षा, जीवन की रक्षा) विषय पर आधारित यह संगोष्ठी यकृत और पित्त स्वास्थ्य के लिए एकीकृत, शोध-समर्थित समाधानों को आगे बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है - एक ऐसा क्षेत्र जो आयुर्वेद और आधुनिक जैव चिकित्सा विज्ञान के बीच सहयोगात्मक अनुसंधान की मांग करता है।