नई दिल्ली, 26 मई
ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं ने शिशुओं और बच्चों में दुर्लभ बीमारियों का निदान करने में मदद करने के लिए एक नई, तेज़ परीक्षण विधि विकसित की है।
5,000 से ज़्यादा ज्ञात जीन में उत्परिवर्तन के कारण 7,000 से ज़्यादा तरह की बीमारियाँ होती हैं, जो दुनिया भर में लगभग 300 मिलियन लोगों को प्रभावित करती हैं।
वर्तमान में, संदिग्ध दुर्लभ बीमारी वाले लगभग आधे मरीज़ों का निदान नहीं हो पाया है, और निदान न की गई स्थितियों के लिए मौजूदा परीक्षण विधियाँ आम तौर पर धीमी हैं।
मेलबर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक ही, बिना लक्षित परीक्षण में हज़ारों प्रोटीन का विश्लेषण करने की एक नई रक्त-आधारित विधि विकसित की है।
जर्मनी में यूरोपियन सोसाइटी ऑफ़ ह्यूमन जेनेटिक्स के वार्षिक सम्मेलन में शोध प्रस्तुत करते हुए विश्वविद्यालय की एक वरिष्ठ पोस्टडॉक्टरल छात्रा डॉ. डेनिएला हॉक ने कहा कि ज़्यादातर जीन का डीएनए अनुक्रम प्रोटीन बनाने का कोड है, जो हमारी कोशिकाओं और ऊतकों की आणविक मशीनें हैं।
हॉक ने कहा, "हमारा नया परीक्षण परिधीय रक्त मोनोन्यूक्लियर कोशिकाओं (PBMCs) में 8,000 से अधिक प्रोटीन की पहचान कर सकता है, जो ज्ञात मेंडेलियन और माइटोकॉन्ड्रियल रोग जीन के 50 प्रतिशत से अधिक को कवर करता है, साथ ही हमें नए रोग जीन की खोज करने में सक्षम बनाता है।" नया परीक्षण अद्वितीय है क्योंकि यह जीन के बजाय प्रोटीन को अनुक्रमित करता है, और डेटा यह समझने में मदद कर सकता है कि जीन अनुक्रम में परिवर्तन इसके संबंधित प्रोटीन के कार्य को कैसे प्रभावित करते हैं और बीमारी का कारण बनते हैं।