नई दिल्ली, 2 जुलाई
सरकार ने ओला, उबर और रैपिडो जैसे कैब एग्रीगेटर्स को पीक ऑवर्स के दौरान बेस फेयर से दोगुना तक चार्ज करने की अनुमति दे दी है।
इससे पहले, उन्हें बेस फेयर से केवल 1.5 गुना तक ही सर्ज या डायनेमिक प्राइसिंग लागू करने की अनुमति थी।
सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) द्वारा जारी संशोधित मोटर वाहन एग्रीगेटर दिशानिर्देश, 2025 में इस बदलाव की घोषणा की गई।
इन नए नियमों का उद्देश्य उपयोगकर्ता सुरक्षा, चालक कल्याण और व्यावसायिक संचालन के बीच संतुलन बनाना है।
नए नियमों के अनुसार, कैब कंपनियां अब गैर-पीक ऑवर्स के दौरान बेस फेयर का न्यूनतम 50 प्रतिशत चार्ज कर सकती हैं।
बेस फेयर वह राशि होगी जो संबंधित राज्य सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार या श्रेणी के मोटर वाहनों के लिए अधिसूचित की जाएगी।
राज्यों को अगले तीन महीनों के भीतर नए दिशा-निर्देशों को अपनाने की सलाह दी गई है।
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि बेस किराया कम से कम 3 किलोमीटर की दूरी तय करना चाहिए।
यह ‘डेड माइलेज’ की भरपाई के लिए है - यात्री के पिकअप पॉइंट तक पहुँचने के लिए ड्राइवर द्वारा इस्तेमाल की गई दूरी और ईंधन।
हालांकि, यात्रियों से डेड माइलेज के लिए अलग से शुल्क नहीं लिया जाएगा, जब तक कि कुल सवारी की दूरी 3 किलोमीटर से कम न हो।