नई दिल्ली, 5 अगस्त
सरकार ने उन मीडिया रिपोर्टों का खंडन किया है जिनमें पेट्रोल में 20 प्रतिशत इथेनॉल मिश्रण (E20) के संभावित नकारात्मक प्रभाव, खासकर पुराने वाहनों और ग्राहक अनुभव के संबंध में, के बारे में चिंता जताई गई थी।
पेट्रोलियम मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "हालांकि, ये चिंताएँ काफी हद तक निराधार हैं और वैज्ञानिक प्रमाणों या विशेषज्ञ विश्लेषण द्वारा समर्थित नहीं हैं।" उन्होंने आगे कहा कि पेट्रोल में इथेनॉल मिश्रण से वाहनों को नुकसान पहुँचने या उपभोक्ताओं को अनावश्यक कठिनाई होने की बात "वास्तविक तथ्यों पर आधारित नहीं है और इसमें तकनीकी आधार का अभाव है"।
कार्ब्युरेटेड और फ्यूल-इंजेक्टेड वाहनों के पहले 1,00,000 किलोमीटर के दौरान हर 10,000 किलोमीटर पर परीक्षण के माध्यम से वाहनों के यांत्रिक, ऊर्जा और पर्यावरणीय प्रदर्शन पर इथेनॉल-पेट्रोल मिश्रण के उपयोग के प्रभाव पर अंतर्राष्ट्रीय अध्ययनों से सांख्यिकीय रूप से उत्पन्न शक्ति और टॉर्क तथा ईंधन की खपत में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं दिखा।
मंत्रालय ने एक पोस्ट में कहा, "ऑटोमोटिव रिसर्च एसोसिएशन ऑफ इंडिया (एआरएआई), भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (आईआईपी) और इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आरएंडडी) द्वारा सामग्री अनुकूलता और चलाने योग्यता परीक्षणों से पुष्टि हुई है कि पुराने वाहनों में भी ई20 से चलने पर कोई खास बदलाव, प्रदर्शन संबंधी समस्याएँ या असामान्य टूट-फूट नहीं देखी गई। इसके अलावा, ई20 ईंधन ने इंजन को बिना किसी नुकसान के गर्म और ठंडे स्टार्टेबिलिटी परीक्षणों को पास कर लिया।"