नई दिल्ली, 3 मई
अमेरिकी वैज्ञानिक लॉन्ग कोविड के खिलाफ लंबे समय तक काम करने वाले एंटीबॉडी की प्रभावकारिता को समझने के लिए एक क्लिनिकल परीक्षण कर रहे हैं - एक ऐसी स्थिति जो दुनिया भर में कम से कम 65 मिलियन लोगों को प्रभावित करती है।
लॉन्ग कोविड SARS-CoV-2 वायरस के कारण होने वाले संक्रमण के बाद लोगों को प्रभावित करता है। इस स्थिति को अभी तक ठीक से परिभाषित नहीं किया गया है और इसमें 200 से अधिक लक्षण दिखाई देते हैं।
नोवा साउथईस्टर्न यूनिवर्सिटी (NSU) और श्मिट इनिशिएटिव फॉर लॉन्ग कोविड (SILC) की टीम ने घोषणा की कि ब्रिटिश दवा निर्माता एस्ट्राजेनेका द्वारा इस स्थिति से बचाव के लिए डिज़ाइन किए गए लंबे समय तक काम करने वाले मोनोक्लोनल एंटीबॉडी सिपाविबार्ट की प्रभावशीलता और सुरक्षा का आकलन करने के लिए एक क्लिनिकल परीक्षण चल रहा है।
टीम ने बहु-वर्षीय शोध में 100 रोगियों को नामांकित किया, जिसकी इस वर्ष की शुरुआत में FDA द्वारा समीक्षा की गई और उसे मंज़ूरी दी गई। इसका उद्देश्य रोगियों के लॉन्ग कोविड लक्षणों में सुधार करना और उन्हें पूर्ण स्वास्थ्य में वापस लाना है।
एनएसयू में न्यूरो-इम्यून मेडिसिन संस्थान की निदेशक नैन्सी क्लिमास ने कहा, "कई बहु-लक्षण, पोस्ट-वायरल स्थितियों की तरह, लॉन्ग कोविड अविश्वसनीय रूप से जटिल है और इसलिए इसे बहुत कम समझा जाता है।" उन्होंने कहा, "लॉन्ग कोविड के असंख्य लक्षणों से पीड़ित रोगियों के लिए उपचार खोजना जीवन बदलने वाला होगा।"