चंडीगढ़, 18 जुलाई
मुख्यमंत्री भगवंत मान के कुशल नेतृत्व आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की सोच से प्रेरित होकर पंजाब सरकार ने 'प्रोजेक्ट जीवनज्योत-2' की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य पंजाब की धरती से बाल भिक्षावृत्ति की समस्या को जड़ से खत्म करना है।
इस योजना के बारे में बताते हुए पंजाब सरकार की महिला एवं बाल विकास मंत्री डॉ. बलजीत कौर ने कहा कि पंजाब, जो अपने गुरुओं, संतों और योद्धाओं के लिए जाना जाता है, बाल भिक्षावृत्ति की शर्मनाक प्रथा को बेरोकटोक जारी रहने नहीं दे सकता। उन्होंने कहा, "जब हम छोटे बच्चों को सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर होते देखते हैं, तो न केवल उनकी गरिमा को ठेस पहुंचती है, बल्कि यह हमारे समाज की सामूहिक चेतना और राज्य के सम्मान पर भी गंभीर प्रश्न खड़े करता है।"
जीवनज्योत योजना (फेज़-1) के तहत अब तक की कार्य प्रगति
पंजाब सरकार ने सितंबर 2024 में इस मिशन की शुरुआत की थी। इसके लिए एक समर्पित बचाव दलों ने राज्य भर में भीख मांगते पाए गए बच्चों की पहचान करने और उन्हें बचाने के लिए जिला-स्तरीय समितियां बनाई थी।
पिछले 9 महीनों में, विभिन्न जिलों में 753 बचाव अभियानों (छापेमारी) के माध्यम से 367 बच्चों को सफलतापूर्वक बचाया गया। इनमें से 350 बच्चों को उनके परिवारों से मिलवाया गया, जबकि 17 बच्चों जिनके माता-पिता की पहचान नहीं हो सकी, को बाल गृहों में रखा गया। बचाए गए 150 बच्चे दूसरे राज्यों के थे और उन्हें सुरक्षित उनके परिवारों के पास वापस भेज दिया गया।
वहीं 183 बच्चों को स्कूलों में दाखिला दिलाया गया और 6 साल से कम उम्र के 13 बच्चों को प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल के लिए आंगनवाड़ी केंद्रों में दाखिल करवाया गया। अत्यंत गरीब परिवारों के 30 बच्चों को प्रायोजन योजना में नामांकित किया गया, जिन्हें उनकी शिक्षा निर्बाध रूप से जारी रखने के लिए ₹4,000 प्रति माह दिए जा रहे हैं। 16 बच्चों को राज्य की पेंशन योजना के तहत लाया गया, जिन्हें ₹1,500 प्रति माह दिए जा रहे हैं।
मंत्री बलजीत कौर ने कहा कि आप सरकार न केवल ऐसे बच्चों को बचा रही है, बल्कि निरंतर निगरानी भी सुनिश्चित कर रही है। हर तीन महीने में जिला-स्तरीय बाल संरक्षण टीम यह सत्यापित करते हैं कि क्या ये बच्चे स्कूल जा रहे हैं या कहीं वे फिर से सड़कों पर वापस तो नहीं आ गए?
मंत्री ने कहा कि इन प्रयासों के बावजूद 57 बच्चे उन स्कूलों या घरों से फिर से लापता पाए गए जहां उन्हें भेजा गया था। इससे एक चिंताजनक सवाल उठता है कि क्या ये बच्चे वास्तव में अपने परिवारों के साथ सुरक्षित हैं या वे मानव तस्करी या भीख माफियाओं के शिकार हो गए हैं?