नई दिल्ली, 21 अगस्त
इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने गुरुवार को बताया कि भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने सहकारी बैंकों को शामिल करने और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के उपलक्ष्य में आधार-आधारित प्रमाणीकरण सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम बनाने के लिए एक नया ढाँचा पेश किया है।
इस विकास से अंतिम छोर तक बैंकिंग और डिजिटल समावेशन को मज़बूती मिलेगी।
यह ढाँचा सहकारिता मंत्रालय, नाबार्ड, एनपीसीआई और सहकारी बैंकों के साथ गहन परामर्श से विकसित किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि यह ढाँचा देश भर के सभी 34 राज्य सहकारी बैंकों (एससीबी) और 352 जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों (डीसीसीबी) को कवर करेगा।
नई प्रणाली के तहत आधार सेवाओं को अपनाना अब आसान और कम खर्चीला हो गया है।
मंत्रालय के अनुसार, यूआईडीएआई केवल राज्य सहकारी बैंकों को ई-केवाईसी उपयोगकर्ता एजेंसियों (केयूए) और प्रमाणीकरण उपयोगकर्ता एजेंसियों (एयूए) के रूप में पंजीकृत करेगा।
डीसीसीबी अपने-अपने एससीबी के आधार प्रमाणीकरण एप्लिकेशन और आईटी अवसंरचना का निर्बाध रूप से उपयोग कर सकेंगे।
मंत्रालय ने कहा कि इससे डीसीसीबी को अलग आईटी सिस्टम विकसित करने या बनाए रखने की आवश्यकता समाप्त हो जाएगी, जिससे लागत में बचत होगी और संचालन सुचारू रूप से सुनिश्चित होगा।
सहकारी बैंक इस ढाँचे के माध्यम से आधार-सक्षम सेवाओं का उपयोग कर ग्राहकों को तेज़, सुरक्षित और आसान ऑनबोर्डिंग प्रदान कर सकेंगे।
बायोमेट्रिक ई-केवाईसी और चेहरे के प्रमाणीकरण जैसी सेवाओं से, विशेष रूप से ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में, खाता खोलना आसान हो जाएगा।
कल्याणकारी योजनाओं और सब्सिडी भुगतानों को सीधे अपने सहकारी बैंक खातों में जमा करने के लिए आधार का उपयोग करने की क्षमता से भी ग्राहकों को लाभ होगा।
सहकारी क्षेत्र में डिजिटल लेनदेन को और बढ़ाने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने के लिए, यह ढाँचा सहकारी बैंकों को आधार भुगतान ब्रिज और आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस) जैसी सेवाएँ प्रदान करने का अधिकार भी देता है।
आधार के प्रभाव और पहुँच को बढ़ाने में इस महत्वपूर्ण कदम के कारण सहकारी बैंक भारत की वित्तीय प्रणाली के लिए आवश्यक बने रहेंगे।