नई दिल्ली, 24 सितंबर
बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 28 के अंत तक भारत की सौर मॉड्यूल और सेल क्षमता क्रमशः 200 गीगावाट-पीक (GWp) और 100 गीगावाट-पीक तक पहुँचने की उम्मीद है, जो अगले तीन वर्षों में 50 गीगावाट-पीक की वार्षिक घरेलू मॉड्यूल मांग से कहीं अधिक होगी।
सौर क्षेत्र में एकीकृत कंपनियाँ मार्जिन के दबाव के प्रति अधिक लचीली होंगी, जिससे छोटी मॉड्यूल क्षमताओं का समेकन होगा।
परिणामस्वरूप, मॉड्यूल उत्पादन निर्यात पर अधिक निर्भर होने की संभावना है, जबकि मध्यम अवधि में सेल उत्पादन भी घरेलू मांग को पीछे छोड़ सकता है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जीएसटी दरों में कमी से परियोजना लागत में 4-5 प्रतिशत की बचत हो सकती है।
इस बीच, अमेरिका में सख्त होती नीतियों का भारत के मॉड्यूल निर्यात पर असर पड़ सकता है, हालाँकि मध्यम अवधि का दृष्टिकोण आशाजनक बना हुआ है, बशर्ते भारतीय कंपनियाँ अनुपालन में सुधार करें और लागत प्रतिस्पर्धा बनाए रखें।