नई दिल्ली, 9 अक्टूबर
एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (वित्त वर्ष 26 की दूसरी तिमाही) में मज़बूत घरेलू माँग और उत्साहजनक निवेश धारणा के बल पर भारत का विनिर्माण क्षेत्र निरंतर वृद्धि और विस्तार देख रहा है।
इस क्षेत्र की लगभग 75 प्रतिशत क्षमता का उपयोग किया जा रहा था, जो निरंतर गतिविधि का संकेत देता है।
इस बीच, निर्माताओं को अभी भी उच्च इनपुट लागत, अस्थिर भू-राजनीति, व्यापार बाधाओं और कुछ बाज़ारों में कुशल श्रमिकों की कमी जैसी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।
महंगी धातुएँ, थोक रसायन, ऊर्जा, रसद और श्रम, 50 प्रतिशत से अधिक व्यवसायों द्वारा पिछले वर्ष की तुलना में अधिक उत्पादन लागत दर्ज किए जाने के मुख्य कारण थे।
यह रिपोर्ट पूंजीगत वस्तुओं, ऑटोमोबाइल, रसायन, इलेक्ट्रॉनिक्स, मशीन टूल्स, धातु, वस्त्र और अन्य सहित आठ प्रमुख क्षेत्रों से प्राप्त इनपुट के आधार पर तैयार की गई थी, जो इस बात पर प्रकाश डालती है कि वैश्विक अनिश्चितता के बावजूद भारतीय विनिर्माण क्षेत्र कितना लचीला बना हुआ है।