नई दिल्ली, 14 अक्टूबर
कोविड-19 संक्रमण के मस्तिष्क पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ने के बारे में तो जाना ही जाता है, लेकिन एक चौंकाने वाले पशु अध्ययन से पता चला है कि गर्भधारण से पहले पिताओं में SARS-CoV-2 संक्रमण शुक्राणुओं में परिवर्तन ला सकता है, जिससे बच्चों के मस्तिष्क के विकास और व्यवहार में बदलाव आ सकता है और बाद में चिंता का जोखिम बढ़ सकता है।
नेचर कम्युनिकेशंस पत्रिका में प्रकाशित निष्कर्ष बताते हैं कि कोविड का भावी पीढ़ियों पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ सकता है।
पिछले अध्ययनों से पता चला है कि संभोग से पहले खराब आहार जैसे विशिष्ट पर्यावरणीय और जीवनशैली कारकों के संपर्क में आने वाले नर चूहे, संतानों के मस्तिष्क के विकास और व्यवहार को बदल सकते हैं।
ऑस्ट्रेलिया में मेलबर्न विश्वविद्यालय के फ्लोरी इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरोसाइंस एंड मेंटल हेल्थ के प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर एंथनी हन्नान ने कहा, "ऐसा इसलिए है क्योंकि पिता के अनुभव शुक्राणुओं में मौजूद जानकारी को बदल सकते हैं, जिसमें विशिष्ट आरएनए अणु भी शामिल हैं, जो संतानों के विकास के लिए निर्देश प्रसारित करते हैं।"