नई दिल्ली, 30 अप्रैल
सरकारी प्रोत्साहन और बुनियादी ढांचे में निवेश से स्थानीय इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) निर्माण को बढ़ावा मिल रहा है और इस अंतर को पाटने और बाज़ार को 2030 के लक्ष्य के करीब लाने के लिए कई नीतिगत उपाय और बुनियादी ढांचे का विकास किया जा रहा है, बुधवार को एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई।
भारत के यात्री वाहन (पीवी) की बिक्री 2024 में (साल-दर-साल) 4.6 प्रतिशत बढ़कर 4.3 मिलियन यूनिट से अधिक हो गई। काउंटरपॉइंट के नवीनतम ‘इंडिया पैसेंजर व्हीकल मॉडल सेल्स ट्रैकर’ के अनुसार, बैटरी इलेक्ट्रिक वाहनों (बीईवी) की कुल पीवी बिक्री में 2.5 प्रतिशत की हिस्सेदारी है, जो साल-दर-साल 16 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।
यात्री बीईवी की बिक्री में वृद्धि का श्रेय कई नए मॉडलों के लॉन्च को दिया जा सकता है, जिनमें टाटा कर्व.ईवी, एमजी विंडसर, बीवाईडी सील, बीवाईडी ईमैक्स 7 और टाटा पंच.ईवी रिफ्रेश शामिल हैं।
भारत सरकार ने ईवी अपनाने के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किए हैं। इसका लक्ष्य 2030 तक यात्री वाहन खंड में 30 प्रतिशत, संयुक्त दोपहिया और तिपहिया खंड में 80 प्रतिशत और वाणिज्यिक वाहन खंड में 70 प्रतिशत ईवी पैठ हासिल करना है।
ऑटोमोटिव बाजार विश्लेषक अभिक मुखर्जी के अनुसार, ऑटोमोबाइल और उनके घटकों के लिए अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी भारत के बढ़ते घटक निर्यात को खतरे में डालती है, लेकिन साथ ही, वे अन्य बाजारों में घटक निर्यात बढ़ाने के अवसर भी पैदा करते हैं।