नई दिल्ली, 28 मई
भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने बुधवार को 6 गीगाहर्ट्ज (निम्न), 7 गीगाहर्ट्ज, 13 गीगाहर्ट्ज, 15 गीगाहर्ट्ज, 18 गीगाहर्ट्ज, 21 गीगाहर्ट्ज बैंड, ई-बैंड और वी-बैंड में माइक्रोवेव स्पेक्ट्रम आवंटित करने पर परामर्श पत्र जारी किया।
ट्राई ने अब परामर्श पत्र पर हितधारकों से 25 जून तक लिखित टिप्पणियां आमंत्रित की हैं, जिसे नियामक की वेबसाइट (www.trai.gov.in) पर रखा गया है, तथा 9 जुलाई तक प्रति-टिप्पणियां आमंत्रित की गई हैं।
परामर्श पत्र दूरसंचार विभाग (डीओटी) द्वारा ट्राई अधिनियम, 1997 के तहत इन बैंडों में स्पेक्ट्रम के लिए मांग मूल्यांकन और सेवा/उपयोग के दायरे, तथा स्पेक्ट्रम के आवंटन की कार्यप्रणाली और संबंधित नियम एवं शर्तों जैसे मुद्दों पर सिफारिशें प्रदान करने के अनुरोध के जवाब में जारी किया गया है, जो ट्राई द्वारा सेवाओं/उपयोगों के दायरे के निर्धारण के अनुरूप है, अर्थात "एक्सेस" या "बैकहॉल" या "एकीकृत एक्सेस और बैकहॉल"।
स्पेक्ट्रम शुल्क और संबंधित नियम एवं शर्तें, जैसे स्पेक्ट्रम कैप, वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं के बैकहॉल उद्देश्यों के लिए इन बैंडों में स्पेक्ट्रम के आवंटन के लिए वाहक एकत्रीकरण, एक अन्य मुद्दा है जिसे परामर्श पत्र में शामिल किया गया है।
दूरसंचार विभाग ने वाणिज्यिक दूरसंचार सेवाओं की अंतिम-मील कनेक्टिविटी (फिक्स्ड वायरलेस एक्सेस) के लिए निर्धारित स्पेक्ट्रम की मात्रा और गैर-आईएमटी बैंड में स्पेक्ट्रम आवंटन की पद्धति और संबंधित नियम व शर्तों पर ट्राई की सिफारिशें भी मांगी हैं।